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गणेश मंदिर की पेशवाकालीन बावड़ी का जीर्णोद्धार, राजस्थान के कारीगरों ने दी नई पहचान

सीहोर। श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर परिसर में स्थित 400 साल पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो गया है। सोमवार को मंदिर के मुख्य पुजारियों पं. पृथ्वी वल्लभ दुबे और पं. हेमंत वल्लभ दुबे ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ इसका उद्घाटन किया।
इतिहासकारों के अनुसार इस बावड़ी का निर्माण पेशवाओं ने तब करवाया था, जब उन्होंने विक्रमादित्य काल के इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। यह बावड़ी उस समय के धार्मिक और सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। इस नवीनीकरण पर लगभग पांच लाख रुपये की लागत आई है। पिछले एक साल से राजस्थान के शिल्पकार इस पर काम कर रहे थे और उन्होंने पारंपरिक शिल्पकला का इस्तेमाल करते हुए इसे नया रूप दिया है।
अवैध चंदा वसूली का लगाया आरोप
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. पृथ्वी वल्लभ दुबे ने बताया कि यह बावड़ी सिर्फ एक जल का स्रोत नहीं है, बल्कि हमारी आस्था और इतिहास की एक अनमोल विरासत है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि कुछ लोग बावड़ी के नाम पर अवैध रूप से चंदा वसूली कर रहे हैं। उद्घाटन के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पत्रकार मौजूद थे।

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