18 प्लस वाले एक साल बाद भी 17 लाख बचे, कोरोना से जंग में बच्चे भारी

भोपाल
कोरोना से जंग में प्रदेश के बच्चों का जज्बा जबरदस्त देखने को मिला। महज बीस दिनों में बच्चों ने कोविड वैक्सीन लगवाने में जो उत्साह दिखाया उसने बड़ों को भी पीछे छोड़ दिया। प्रदेश के 15 से 17 साल के 66 फीसदी बच्चों ने इतने कम समय में कोविड का वैक्सीन का पहला डोज लगवा लिया है। जब प्रदेश में इस आयु के 16 लाख से भी कम बच्चों को पहला डोज लगना बाकी है।
जबकि इनकी तुलना में एक साल बाद भी प्रदेश में 17 लाख लोग जो 18 से ज्यादा आयु के हैं उन्हें पहला डोज लगना बाकी है। बच्चों को पहला डोज लगवाने में धार जिला अव्वल रहा, यहां पर 88 प्रतिशत बच्चों के पहला डोज लग चुका है। दूसरे नंबर पर अलीराजपुर जिला है यहां पर 78 प्रतिशत बच्चों को पहला डोज लग चुका है। भोपाल, शहडोल और सतना तीसरी, चौथे और पांचवे नंबर पर हैं। इस आयु के बच्चों को सबसे कम डोज अनूपपुर में लगे हैं यहां पर 55 प्रतिशत, देवास में 56 प्रतिशत, उज्जैन में 57 प्रतिशत, मंडला में 58 प्रतिशत, बैतूल में 58 प्रतिशत बच्चों को ही पहला डोज लगा है। दूसरी ओर 18 साल और उससे अधिक आयु के 17 लाख लोगों ने अपना पहला वैक्सीन नहीं लगवाया है। सागर जिले में लगभग डेढ़ लाख लोग पहला डोज नहीं लगवाने पहुंचे। इसी तरह भिंड में भी एक लाख 39 हजार के लगभग लोगों ने पहला वैक्सीन नहीं लगवाया है। देवास में 99 हजार, धार में 96 हजार, मुरैना में 91 हजार लोगों ने अब तक पहला वैक्सीन नहीं लगवाया है।
इंदौर में ज्यादा बच्चे बचे
संख्या के हिसाब से देखा जाए तो इंदौर में इस आयु के बच्चे सबसे ज्यादा है। यहां पर एक लाख 94 हजार 753 बच्चों में से एक लाख 26 हजार 599 बच्चों को पहला डोज लग चुका है। इसके बाद भी यहां पर अभी 68 हजार के लगभग बच्चों को पहला वैक्सीन लगाया जाना बाकी है। वहीं जबलपुर में 63 हजार के करीब बच्चे अभी बाकी है, ग्वालियर और सागर में लगभग 60 हजार, छिंदवाड़ा में 56 हजार बच्चों को पहला डोज लगना बाकी है।