भोपालमध्य प्रदेश

ग्रीन एनर्जी के लिए फ्रंट फुट पर प्रदेश सरकार, प्राकृतिक खेती प्रमोट करेगा मंत्रिमंडल

भोपाल
प्रदेश में नैचुरल खेती को बढ़ावा देने के लिए अब प्रदेश के मुखिया समेत मंत्रिमंडल सदस्य अपने खेतों में मॉडल फार्म बनाएंगे। इनमें खाद और कीटनाशक सभी जैविक होंगे। इधर, गोबर के समुचित निपटारे के लिए अब इसका इस्तेमाल सीएनजी बनाने में किया जाएगा। इससे एक तरफ क्लीन एनर्जी का रास्ता साफ होगा, वहीं किसानों को उन्नत किस्म का गोबर खाद भी मिलेगी।

प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी 30 मंत्री अपनी-अपनी खेती की जमीनों के कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती के मॉडल फार्म तैयार कराएंगे। यहां पूरी तरह से जैविक खेती  के जरिए जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हुए जैविक उत्पादों को तैयार किया जाएगा और यहां खाद से लेकर पेस्टीसाईड तक जैविक होंगे। उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके लिए कृषि मंत्री ने प्रदेश के सभी 31 मंत्रियों को चिट्ठी लिखकर ऐसा करने को कहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद कृषि मंत्री कमल पटेल ने प्रदेश के सभी मंत्रियों को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने मंत्रियों से कहा है कि जिन-जिन सदस्यों के पास खेती की जमीन है। सभी अपनी खेती की जमीन के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती का मॉडल फार्म विकसित करें। इससे लोग  प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित होंगे और धरती का स्वास्थ्य सुधारने में मदद मिलेगी। इसके लिए कृषि विभाग हर मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में एक अधिकारी की भी तैनाती की है जो मंत्री को प्राकृतिक खेती का मॉडल फार्म तैयार करने के लिए तकनीकी और अन्य मदद उपलब्ध कराएगा। इस मॉडल फार्म पर जैविक तरीके से कोबर खाद, कंपोस्ट खाद, केंचुआ खाद,वर्मी कल्चर  खाद और जैविक नीम खली, नीम तेल और अन्य जैविक पेस्टीसाईड का उपयोग किया जाएगा।

जैविक खेती के लिए उन्नत बीजों का उपयोग किया जाएगा। किस तरह से यहां औषधीय पौधों, अनाज और अन्य ज्यादा आमदनी वाली फसले ली जा सकती है यह भी बताया जाएगा। इन मॉडल फार्मो पर ग्रीन शेड और स्प्रिंकलर सहित सिचाई की अत्याधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जाएगा जो हर मौसम के अनुकूल उत्पादन करने में मददगार हो सके। अनाज के अलावा, फल-सब्जी और  पौधे तैयार करने, गौपालन और गौ उत्पादों के जरिए अन्य व्यावसायिक गतिविधियां भी इन मॉडल फार्म पर शुरु की जाएंगी।

नर्मदा किनारे किसानों को तैयार करेंगे प्राकृतिक खेती के लिए
नर्मदा किनारे के कटाव को रोकने और खेतों में उपयोग होंने वाले जहरीले रासायनिक खाद और उर्वरकों का उपयोग प्रतिबंधित करने लिए अब सरकार यह किसानों से बात कर उन्हें इस बात के लिए तैयार करेगी कि नर्मदा नदी के दोनो किनारों में पांच किलोतीटर तक की खेती की जमीन पर प्राकृतिक खेती किसान करें। इसके लिए उन्हें कुछ प्रोत्साहन देने की नीति भी बनाई जा रही है ताकि किसान रासायनिक खेती से जैविक खेती की अग्रसर हो सके।

बदलेगा फसल पैटर्न
प्रदेशभर में अब फसल पैटर्न में भी बदलाव किया जाएगा। जो किसान अभी अधिकांशत: गेहूं, चावल और दलहन की फसलें ही लेते आ रहे है उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि वे दूसरी फसलें ले। फसल चक्र के अनुसार अलग-अलग वर्षो में विभिन्न प्रकार की फसलें ले ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहे और उत्पादन में भी वृद्धि हो सके।

इनका कहना
सभी मंत्रियों की खेती की जमीनों पर प्राकृतिक खेती के मॉडल फार्म तैयार करने के लिए अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। ये मंत्रियों के खेतों पर मॉउल फार्म तैयार करने में तकनीकी और अन्य विशेषज्ञों की मदद उपलब्ध कराकर ये मॉडल फार्म बनवाने में मदद करेंगे।
अजीत केसरी, अपर मुख्य सचिव कृषि

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