ईश्वर से प्रेम प्रकट करने का माध्यम है भक्ति : माता सुदीक्षा
जबलपुर
सतगुरु माता सुदीक्षा ने महाराष्ट्र समागम के द्वितीय दिन के समापन पर आशीवर्चन देते हुए कहा, कि भक्ति कोई दिखावा नहीं, यह तो ईश्वर के प्रति अपना स्नेह प्रकट करने का एक माध्यम है, जिसमें भक्त अपनी कला जैसे गीत, नृत्य एवं कविता के माध्यम से अपने प्रभु को रिझाने के लिए सदैव ही तत्पर रहता है। उन्होंने कहा, कि वास्तविक भक्ति किसी भौतिक उपलब्धि के लिए नहीं की जाती अपितु प्रभु परमात्मा से नि:स्वार्थ भाव से की जाने वाली भक्ति ही ‘प्रेमाभक्ति’ होती है। यह एक ओत-प्रोत का मामला होता है जिसमें भक्त और भगवान एक दूसरे के पूरक होते हैं। भक्त और भगवान के बीच का संबंध अटूट होता है और जिसके बिना भक्ति संभव नहीं है।
सेवादल रैली
समागम के दूसरे दिन का शुभारंभ एक आकर्षक सेवादल रैली से हुआ जिसमें महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से आए कुछ सेवादल भाई-बहनों ने भाग लिया। इस रैली में सेवादल स्वयं सेवकों ने जहां पीटी परेड, शारीरिक व्यायाम के अतिरिक्त मल्लखंब, मानवीय पिरामिड, रस्सी कूद जैसे विभिन्न करतब एवं खेल प्रस्तुत किए। मिशन की विचारधारा और सतगुरु की सिखलाई पर आधारित लघुनाटिकाएं भी इस रैली में प्रस्तुत की गर्इं। माता जी ने सेवादल की प्रशंसा करते हुए कहा, कि सभी सदस्यों ने कोविड-19 के नियमों का पालन करके मर्यादित रूप से रैली में सुंदर प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने कहा सेवादल रैली को कहा, कि सेवा का भाव ही मनुष्य में मानवता का संचार करता है और यही सेवा की भावना हमें यह स्मरण कराती है, कि सेवा किसी वर्दी की मोहताज नहीं। तन पर वर्दी हो या न हो सेवा का भाव होना आवश्यक है।