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समर्थन मूल्य 2015 से ज्यादा भाव में हो रही मंडी में गेहूं खरीदी, इसलिए घट सकता है सरकार का खरीदी लक्ष्य

- 95 हजार से अधिक किसानों ने कराया समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीयन, 21 हजार ने कराया चने के लिए पंजीयन

सीहोर। राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की तैयारियां की जा रही हैं। इसके लिए 10 मार्च तक किसानों को पंजीयन कराना था। इस अवधि में अब तक लगभग 95 हजार किसानों ने गेहूं, 21 हजार से अधिक किसानों ने चना और करीब 2500 किसानों ने मसूर बेचने के लिए पंजीयन कराया है। सरसों के लिए किसी भी किसान ने पंजीयन नहीं कराया है। इधर इस वर्ष अभी से मंडी में गेहूं समर्थन मूल्य 2015 से अधिक के भाव में बिक रहा है, इसलिए किसानों का रूझान इस बार समर्थन मूल्य पर बेचने की बजाए मंडी में बेचने पर ज्यादा है। यही कारण है कि किसान अपनी फसल निकालकर सीधे मंडी में पहुंच रहा है। यहां पर वह 2100 से लेकर 2300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की फसल बेच रहा है। इस बार संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सरकार द्वारा तय लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकेगा।
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए भले ही किसानों ने अपना पंजीयन कराया है, लेकिन इस बार मंडी में अच्छे भाव होने के कारण ज्यादातर किसान अपनी फसलों को मंडी में ले जाकर बेच रहे हैं। वर्तमान में मंडी में गेहूं 2100 रुपए से लेकर 2400 एवं बेहतर क्वालिटी का गेहूं इससे ज्यादा भाव में बिक रहा है। इसी प्रकार चने का भाव भी 4600 रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक चल रहा है। हालांकि वर्तमान में सबसे ज्यादा आवक गेहूं की हो रही है।
घट सकता है लक्ष्य-
वर्ष 2021 में सरकार ने सीहोर जिले में समर्थन मूल्य पर 66 लाख 57 हजार 280 मीट्रिक टन की गेहूं खरीदी की थी। इसी प्रकार एक लाख 66 हजार 740 मीट्रिक टन चना एवं 60 मीट्रिक टन मसूर खरीदी थी। गत वर्ष लगभग 81 हजार किसानों ने गेहूं एवं 5497 किसानों ने चना व 10 किसानों ने मसूर की फसल समर्थन मूल्य पर सरकार को बेची थी। इस वर्ष भी तय अवधि में करीब 95 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीयन तो कराया है, लेकिन इनमें से कई किसानों ने अपनी फसलें मंडी में बेचना शुरू कर दिया है। हालांकि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं की फसल का रकबा भी बढ़ा है। इसके कारण गेहूं का उत्पादन होने की संभावना ज्यादा है। मौसम ने भी किसानों का साथ दिया है, इसके कारण गेहूं की फसलें भी अच्छी लगी है और बंपर पैदावार की भी उम्मीदें हैं।
खाली हो सकते हैं निजी वेयर हाउस-
जिस तरह से गेहूं के निर्यात में तेजी आई है उससे लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार भी इसमें कुछ निर्णय ले सकती है। सीहोर जिले के कई निजी वेयर हाउसों में बड़ी मात्रा में 2-3 साल पहले का गेहूं भी रखा हुआ है। इसके अलावा गत वर्ष का गेहूं भी रखा हुआ है। यदि गेहूं में इसी तरह तेजी रही तो सरकार निजी वेयर हाउसों में रखे गेहूं को मंडियों में बेच सकती है और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकती है। इधर किसान भी अपनी उपज मंडियों में लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसे में निजी वेयर हाउसों पर भारी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
इसलिए बनी ये स्थितियां-
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण भारतीय गेहूं के निर्यात में तेजी आई है। यही कारण है कि मंडियों में गेहूं समर्थन मूल्य से ज्यादा की कीमत में बिक रहा है। देश से होने वाला कुल गेहूं निर्यात चालू वित्त वर्ष में अब तक 66 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर को छू चुका है। हालांकि अब भी बड़े हिस्से में गेहूं लगा हुआ है। ऐसे में यह आंकड़ा 70 लाख टन से अधिक पहुंच सकता है।
इनका कहना है-
इस बार जिलेभर में गेहूं की फसल की बंपर पैदावार की संभावनाएं हैं। गेहूं की बोवनी का रकबा भी बढ़ा है, ऐसे में उम्मीद है कि गत वर्ष से ज्यादा मात्रा में गेहूं की खरीदी होगी। हालांकि वर्तमान में किसान अपनी उपज निकालकर सीधे मंडियों में ले जा रहे हैं, क्योंकि वहां पर उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं।
– आरएस जाट, उप संचालक कृषि, सीहोर

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