देश

रेमडेसिविर समेत 5 दवाएं बेअसर निकलीं, कोरोना की दूसरी लहर में तरस गए थे लोग

पुणे।

देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। लोग रेमडेसिविर जैसी दवाओं को खरीदने के लिए लाखों रुपये खर्च करने तो तैयार थे, तो उसी दौरान रेमडेसिविर समेत चार दवाओं के प्रभाव को लेकर हुए एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि इनसे कोरोना मरीजों को कोई फायदा नहीं पहुंचा।

आईसीएमआर के पुणे स्थित नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनएआरआई) ने देश भर में 20-30 केंद्रों पर कोरोना मरीजों पर पांच प्रमुख दवाओं- रेमडेसिविर, हाइड्रोक्लोरोक्वीन (एससीक्यू), लोपिनाविर, रिटोनाविर तथा इंटरफेरोन के प्रभाव का अध्ययन किया। ये दवाएं उन दिनों कोरोना मरीजों के लिए लिखी जा रही थी। ये एंटीवायरल दवाएं पहले से मौजूद थी और दुनिया भर के विशेषज्ञों ने उन्हें कोविड उपचार के लिए रिपरपज किया था, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं था।

एनएआरआई की मुख्य वैज्ञानिक डा. शीला गोडबोले ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि करीब एक हजार कोरोना मरीजों पर हुए अध्ययन में हम इस नतीजे पर पहुंचे कि ये दवाएं न तो मरीजों की जान बचाने में समक्ष हैं और न ही ये बीमारी को गंभीर होने से रोकती हैं। इन दवाओं को ले रहे लोग भी वेंटीलेटर पर पहुंच रहे थे।
 

बता दें कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में रेमडेसिविर समेत उपरोक्त चारों दवाओं की भारी बिक्री हुई थी, जिसके चलते इनकी बाजार में भारी मांग पैदा हो गई थी। रेमडेसिविर समेत कुच दवाओं की भारी कालाबाजारी भी हुई थी। गोडबोले ने कहा कि ये दवाएं कोविड मरीजों को वेंटीलेटर पर जाने से नहीं रोकती और मौत से भी नहीं बचाती हैं, लेकिन फिर भी यह कहना एकदम से सही नहीं होगा कि ये बिल्कुल बेकार हैं। रेमडेसिविर जैसी दवाओं को यदि बीमारी के शुरुआती चरण में दिया जाए तो वह कुछ फायदा दे सकती हैं। यह बात भी अध्ययन में देखी गई थी और इन नतीजों से सरकार को अवगत कराया गया था।

दरअसल, रेमडेसिविर को गंभीर मरीजों को दिया जा रहा था और वह भी आखिरी चरण में। इसी प्रकार बाकी दवाओं को लेकर भी शुरुआती दौर में कोई स्पष्ट प्रोटोकॉल नहीं था। लेकिन बाद में एनएआरआई की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने इन दवाओं को कोरोना उपचार के प्रोटोकॉल से हटा दिया था। तथा सहायक दवाओं के रुप में ही मान्यता दी थी। इसलिए तीसरी लहर के दौरान इनकी मांग बाजार में नहीं हुई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button