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जाको राखे साइयां मार सके न कोई…आंवलीघाट से स्नान के दौरान लापता हुआ मनोज 92 दिन बाद सकुशल मिला, खुशी का माहौल

सीहोर। जाको राखे साइयां मार सके न कोई…ये कहावत चरितार्थ करके दिखाई है मनोज सेन ने, जो सीहोर जिले के आंवलीघाट से 92 दिन पहले 30 दिसंबर 2024 को स्नान के दौरान अचानक लापता हुआ था, लेकिन 1 अप्रैल मंगलवार को युवक मनोज सेन आंवलीघाट से सकुशल मिल गया। मनोज को उनके परिजन अपने बीच सकुशल पाकर बेहद खुश हैं। परिवार ने 3 महीनों तक मनोज के लापता होने का दुख झेला है। मनोज के लापता होने से उनकी पत्नी प्रेमलता, बेटे अरुण और कान्हा का रो-रो कर बुरा हाल था, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और न ही उनका विश्वास टूटा। उन्हें इस बात का भरोसा था कि उनके पिता कभी न कभी जरूर आएंगे और उनका यह विश्वास 1 अप्रैल यानी मंगलवार को सच में बदल गया। रेहटी थाना प्रभारी राजेश कहारे ने बताया कि उन्हें मंगलवार को आंवलीघाट से अज्ञात नंबर से फोन आया कि आंवलीघाट से जो युवक लापता हुआ था वो आश्रम में बैठा हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस आश्रम पहुंची और मनोज सेन को सकुशल थाने लेकर पहुंची। जब मनोज सेन से पूछताछ की गई तो वह ठीक से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहा था। बार-बार नर्मदे हर के जयकारे लगा रहा था। इसके बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना दी और पहचान करने के बाद मनोज को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। फिलहाल मनोज सीहोर जिले के अपने पैतृक गांव रोला में हैं।

30 दिसंबर को स्नान के दौरान लापता हुआ था

बता दें कि मनोज सेन 30 दिसम्बर को सोमवती अमावस्या पर अपनी पत्नी के साथ घाट पर स्नान करने पहुंचा था। स्नान के दौरान वो अचानक से लापता हो गया। परिवार को और पुलिस को नदी में डूबे जाने की आशंका थी। इसलिए SDERF और NDERF की टीम 15 जनवरी तक लगातार सर्चिंग करती रही, लेकिन मनोज का कहीं कोई सुराग नहीं लगा था।

यह है पूरा मामला –
मनोज सेन अपनी पत्नी प्रेमलता के साथ 30 दिसम्बर 2024 को सुबह 5 बजे आंवलीघाट पर स्नान करने गए थे। जहां दोनों ने नदी में एक साथ डुबकी लगाई। डुबकी लगाने के बाद मनोज लापता हो गया। मनोज की पत्नी घाट पर बने चेंजरूम में कपड़े बदलने चली गई। कपड़े बदलने के बाद घाट पर मनोज को देखती रही लेकिन वो कहीं दिखाई नहीं दिए। इसके बाद प्रेमलता ने आश्रम में जाकर देखा तो वहां भी नहीं मिला। प्रेमलता को जब मनोज कहीं भी दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। इसके बाद से रेहटी पुलिस, SDERF और NDERF की टीम ने तलाशी शुरू की थी। लगातार अभियान चलाया, लेकिन मनोज सेन का कहीं कोई सुराख नहीं मिला।

कलेक्टर ने भी दिए थे निर्देश –
सीहोर के तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी मनोज को ढूंढने के निर्देश दिए थे, लेकिन मनोज का 92 दिन तक कहीं कोई सुराग नहीं लगा। इसके बाद पुलिस एवं परिजनों ने भी आस छोड़ दी थी, लेकिन अब मनोज के घर में खुशी का माहौल है।

इनका कहना है –

मंगलवार को हमें सूचना मिली थी कि आंवलीघाट से लापता हुए मनोज आंवलीघाट पर बने आश्रम में है। सूचना पर हमने मौके पर जाकर देखा तो मनोज सकुशल मिले। फिर उन्हें लेकर थाने लेकर आए और उनके बयान दर्ज किए, लेकिन वह ठीक से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहा था। फिर मनोज के परिवार को सूचना दी गई। परिवार से पहचान कराने के बाद मनोज को उनके परिजनों को सौंप दिया है।
राजेश कहारे, थाना प्रभारी, रेहटी, जिला सीहोर

मेरे पापा सकुशल घर आ गए हैं, लेकिन अभी उनकी दिमागी स्थिति ठीक नहीं है। पापाजी की वापसी से घर में खुशी का माहौल है। भगवान का लाख – लाख शुक्रिया है।

अरुण सेन, मनोज के बेटे

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