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इस रिपोर्ट से 11 साल बाद खुला डाककर्मी की हत्या का राज, पार्टी में जहरीली शराब पिलाकर किया था मर्डर

मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर प्रधान डाकघर के तत्कालीन भंडारपाल उपेंद्र ठाकुर की संदिग्ध स्थिति में हुई मौत के 11 साल बाद विसरा रिपोर्ट से हत्या का राज खुला है। शराब के साथ जहरीला पदार्थ देने से उनकी मौत हुई थी। लंबित चल रहे इस केस की समीक्षा के बाद अब उनकी हत्या में बेतिया के तत्कालीन सहायक डाक अधीक्षक लाल बहादुर सिंह समेत आठ आरोपितों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है। वरीय अधिकारी के निर्देश के आधार पर अब कांड के आईओ सुनील पंडित ने आरोपितों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

आईओ ने बताया कि उपेंद्र ठाकुर की हत्या में मुजफ्फरपुर से तबादले के बाद बेतिया गए सहायक डाक अधीक्षक लाल बहादुर सिंह, कुढ़नी थाना के विशुनपुर गिद्ध निवासी रामानंदन साह, कुढ़नी थाना के खरौना डीह निवासी राजेंद्र झा, साहेबगंज के दियारा इलाके के भीम मंडल, सरैया थाने के रेवा निवासी दिनेश प्रसाद सिंह, भभुआ के कुदरा थाना के सलथुआ निवासी संजीत कुमार, पूर्णिया के टीकापट्टी थाने के कौशकीपुर निवासी छोटेलाल महलदार और पूर्वी चंपारण के मझौलिया निवासी जगदीश राम की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है। ये सभी 11 साल पहले डाक विभाग में कार्यरत थे।  

यह घटना 11 जून 2011 की है। डाक विभाग में स्टेशनरी का सामान सप्लाई करनेवाले के भाई के बहू भोज में मुजफ्फरपुर प्रधान डाकघर के कर्मचारी बोलेरो से पटना गए थे। रात में भोज के बाद पार्टी में सबने शराब पी थी, जिसमें करजा थाने के रसूलपुर निवासी उपेंद्र ठाकुर की मौत हो गई थी। उनके शव को बोलेरो से लाकर सभी आरोपित डाक कर्मियों ने 11 जून की रात करीब साढ़े बारह बजे कंपनीबाग स्थित प्रधान डाकघर के सामने सड़क पर लाकर रख दिया।

अज्ञात आरोपितों पर हुई थी एफआईआर
11 जून 2011 की रात नगर थाने के तत्कालीन दारोगा सुरेश कुमार गश्त पर थे। सड़क किनारे उपेंद्र ठाकुर को देखकर गश्ती दल रुका। मौके पर पहरा दे रहे निजी नाइट गार्ड विनोद कुमार ने दारोगा को बताया कि कुछ लोग जूरन छपरा की ओर से इस व्यक्ति को बोलेरो से लेकर आए थे। नशे में होने की बात बताकर गाड़ी से उतारकर फुटपाथ किनारे रखकर चले गए। सदर अस्पताल ले जाने पर उपेंद्र ठाकुर की मौत की पुष्टि हुई। दारोगा सुरेश कुमार के बयान पर अज्ञात व्यक्ति की हत्या में अज्ञात आरोपितों के खिलाफ नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।

पुत्र ने की थी शव की पहचान
12 जून 2011 को करजा थाने के रसूलपुर निवासी धीरज कुमार ने शव की पहचान पिता उपेंद्र ठाकुर के रूप में की थी। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद धीरज को सौंप दिया था। पोस्टमार्टम में किसी तरह का कोई जख्म या मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका था। विसरा सुरक्षित किया गया था। विसरा की जांच रिपोर्ट कई साल बाद पुलिस को मिली। तबतक केस ठंडे बस्ते में चला गया था। अब इस पुराने कांड की समीक्षा के बाद वर्षों से लंबित इस कांड में आरोपितों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है।

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