राजनीतिक

कांग्रेस सांसद ने किया परसा कोल ब्लॉक एक्सटेंशन का विरोध, छत्तीसगढ़ सरकार ने राजस्थान को दी है खनन की मंजूरी

 अंबिकापुर

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित परसा कोल खदान के एक्सटेंशन के विरोध में अब कांग्रेस सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत भी उतर आई हैं। जंगल की जैव विविधता को नुकसान बताते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से खनन की अनुमति निरस्त करने की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने कोरबा प्रवास पर आए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अश्वनी चौबे को ज्ञापन भी सौंपा है। सांसद महंत ने कहा है कि 2010 में यूपीए सरकार ने भी घने जंगल क्षेत्र को नोगो एरिया घोषित किया था। सरगुजा का राजस्थान पावर लिमिटेड कॉर्पोरेशन को आवंटित है, जिसकी माइनिंग अडानी कंपनी द्वारा की जा रही है। सांसद महंत ने कहा है कि हसदेव अरण्य वन क्षेत्र देश के कुछ चुनिंदा जैव विविधता वाले क्षेत्रों में है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान से शुरू होकर कान्हा, अचानकमार होता हुआ पलामू तक विस्त़ृत वन कॉरिडोर का हिस्सा है। 700 किमी लंबा कॉरिडोर कोयला खनन करने से दो हिस्सों में बंट जाएगा। परसा और केले एक्सटेंशन कोल ब्लॉक घना जंगल क्षेत्र होने के साथ-साथ गेज व चरनोई नदी का जलग्रहण क्षेत्र भी है। दोनों नदियां हसदेव की सहायक नदी है।

हाथी-मानव द्वंद का भी खतरा
आईबीएफआईबीएफआर और डब्ल्यू आईआई की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में कोयला खनन को अपूर्णीय क्षति बताया गया है। कोयला खनन होने से हाथी-मानव द्वंद का भी खतरा बढ़ने की आशंका है। क्षेत्र के आदिवासी भी आरोप लगा रहे हैं कि वन अनुमति प्रक्रिया में प्रस्तुत किए गए ग्राम सभा के प्रस्ताव फर्जी हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा है कि ग्राम सभाएं इसका विरोध कर रही हैं। इस क्षेत्र में वन अधिकारों को अंतिम निर्धारण नहीं हुआ है। इसके चलते वन भूमि डायवर्सन की स्टेज टू अनुमति नहीं दी जा सकती है।
 

ग्रामीण कर रहे 2019 से विरोध
उदयपुर क्षेत्र के हरिहरपुर, फतेहपुर और साल्ही ग्राम पंचायत के लोग खदान खोलने का साल 2019 से विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति और सीएम को ग्रामीण पत्र लिख चुके हैं। यहां के ग्रामीण 300 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से मिलने रायपुर भी गए थे, लेकिन इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद 2 मार्च से साल्ही गांव में प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत रायपुर सीएम भूपेश बघेल से मिलने आए थे। इसके बाद कोल माइंस को अनुमति मिल गई। एक सप्ताह पहले वहां खनन के लिए कैंप लगाया। खदान को लेकर उग्र हुए ग्रामीणों द्वारा अडानी के कैंप में आगजनी किए जाने के बाद उनसे मिलने कलेक्टर संजीव झा पहुंचे थे। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि कोल माइंस खुला तो उनका जल, जंगल और जमीन साफ़ हो जाएगा, इसके बाद वे कहां जाएंगे। हम जंगल को अपना घर मानते हैं, इसे बचा लीजिए।  

1200 हेक्टेयर में होगा उत्खनन
उदयपुर क्षेत्र में परसा ईस्ट बासेन कोल माइंस के लिए 640 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। निर्धारित समय से पहले ही खनन पूरा हो जाने के बाद इस खदान के सेकंड फेज के लिए अनुमति मिल गई है। यहां 12 सौ हेक्टेयर जमीन खदान में जा रही है। इसमें 841 हेक्टेयर जंगल व‌ चार गांव की जमीन शामिल है। खनन से चार गांव के 1 हजार लोग यानी 250 परिवार विस्थापित हो जाएंगे। 30 सालों तक प्रति वर्ष यहां से 5 मिलियन टन कोयला निकालने की तैयारी है।

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