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मुगल सम्राट शेरशाह सूरी का पसंदीदा आम, आज है बेहद मशहूर

गर्मी का मौसम है और फलों के राजा आम की चर्चा न हो ऐसा कैसे हो सकता है। वह भी तब जब दुनियाभर में आम की एक या दो नहीं करीब डेढ़ हजार किस्म मौजूद हैं। इनमें एक हजार किस्म तो सिर्फ भारत में मिलती हैं। यह भी हैरान करने वाली बात है कि हर किस्म की अलग पहचान, अलग महक और अलग स्वाद होता है। भारत में आम यानी मैंगो शब्द पुर्तगाल से आया। यह पुर्तगाली शब्द Mangga का अपभ्रंश है।

माना जाता है कि पुर्तगाल के लोग जब पहली बार भारत आए और केरल के तट पर पहुंचे। तब स्थानीय लोगों ने मंगा फल का नाम सुना और इसे ही अपना लिया। शायद यही वजह है मलयालम में आम को मंगा ही कहते हैं। ऐसे में भारत में मंगा यानी मैंगो यानी आम का इतिहास करीब पांच हजार साल पुराना है।

कौन है आमों का राजा- अल्फांसो, चौसा या लंगड़ा
दुनियाभर में करीब ढाई करोड़ टन आम का निर्यात भारत से होता है। आम की  एक खास किस्म है अल्फांसो और भारत से इसका निर्यात सबसे ज्यादा होता है। यह बेहद महंगा आम होता है और महाराष्ट्र में होता है। इसे आमों का राजा भी कहते हैं। हालांकि, सभी क्षेत्रों में आम को लोग अपने-अपने हिसाब से अच्छा मानते हैं और राजा कहते हैं, जैसे- बिहार के लोग चौसा और यूपी के लोग लंगड़ा को आमों का राजा कहते हैं।

हुमायूं को हराकर शेरशाह ने मनपसंद आम का नाम रखा था चौसा
चौसा आम भी इनमें से एक है और आम के शौकीन ऐसे बहुत से होंगे, जिन्हें चौसा बेहद पसंद होगा। जितना दिलचस्प इस आम का नाम है, उसका स्वाद और खूशबु उतनी ही मजेदार है। यह मुगलों के समय से मशहूर है और माना जाता है कि इसका लिंक शेरशाह से जुड़ा है। दावा किया जाता है कि शेरशाह को एक किस्म का आम बेहद पंसद था। वर्ष 1539 में बिहार के चौसा में ही शेरशाह ने हुमायूं को हराया और जीत से वे इतने उत्साहित हुए कि अपने मनपसंद आम का नाम चौसा रख दिया और तभी से लोग इस खास किस्म को चौसा के नाम से पुकारते हैं।

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