मध्य प्रदेश

शोभा ओझा ने राज्य महिला आयोग अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

इंदौर
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष पद से शोभा ओझा ने आज इस्तीफा दे दिया। मीडिया के समक्ष उन्होंने इसकी घोषणा की। साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य महिला आयोग की कार्यकारिणी को न्यायालय में उलझाकर हजारों महिलाओं को न्याय से वंचित किया जा रहा है। राजनीतिक स्वार्थ की खातिर महिला सुरक्षा की बलि चढ़ाने का पाप पूरी तरह से अस्वीकार्य और अक्षम्य है, इसलिए अधिकार-विहीन कर दिए गए महिला आयोग के अध्यक्ष पद की संवैधानिक बाध्यताओं को त्याग कर मैं महिला सुरक्षा, न्याय और उनके अधिकारों की लड़ाई अन्य मंचों से लड़ती रहूंगी।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, हत्या, अत्याचार, अपहरण, महिला तस्करी, खरीद-फरोख्त, ब्लैकमेल, मारपीट, दहेज प्रताडऩा, नाबालिग बच्चियों के विरुद्ध अपराध और घरेलू ङ्क्षहसा के मामलों में मप्र देश के अव्वल राज्यों में शुमार है। महिला अत्याचारों की लगभग 17500 शिकायतें आयोग के पास लंबित हो चुकी हैं, लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण जनवरी 2019 के बाद से महिला आयोग के सदस्यों की संयुक्त बेंच भी अब तक नहीं बैठ पाई है।

ओझा ने कहा कि वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति का प्रकरण उच्च न्यायालय में लंबित है। ऐसी स्थिति में आयोग को प्राप्त होने वाले आवेदन-पत्रों को पंजीकृत करते हुए फाइल तैयार की जा सकती है, परंतु उक्त आवेदनों पर किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। इसके बावजूद आयोग के वर्तमान सदस्य सचिव शिवकुमार शर्मा द्वारा आयोग में प्राप्त होने वाले आवेदन-पत्रों पर आयोग के नियम/अधिनियम के विरुद्ध अग्रिम कार्यवाही के लिए संबंधित अधिकारियों को जांच प्रतिवेदन मंगवाए जाने को लेकर निरंतर पत्राचार किया जा रहा है, जो कि पूर्णत: गलत एवं नियम विरुद्ध है। साथ ही उच्च न्यायालय की अवमानना है। गौरतलब है कि प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार रही थी, तब ओझा की नियुक्ति आयोग में की गई थी।

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