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योग से कंट्रोल करें थायराइड की समस्या

 
थायराइड  आज के समय में होने वाली एक सामान्य मेडिकल कंडीशन है। इसमें आपके गले में मौजूद थायराइड ग्रंथि का पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। थायराइड हार्मोन आपके शरीर की उर्जा के उपयोग को नियंत्रित करने का काम करता है। थायराइड की समस्या निम्न कारणों से हो सकती है- इसमें आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यूनिटी, असंतुलित जीवनशैली प्रमुख है। इससे या तो हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म होता है।

अगर थायराइड का इलाज न किया जाए तो क्या होगा? समय के साथ, अनुपचारित हाइपोथायरायडिज्म कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसमें मोटापा, जोड़ों का दर्द, बांझपन और हृदय रोग जैसे गंभीर रोग शामिल हैं। थायराइड डिसऑर्डर जिंदगी भर चलने वाली बीमारियों में से एक होती है। इसे मेनेज करने के लिए कई मेडिसिन और सर्जरी का विकल्प होता है। लेकिन आप इसे घर पर भी कंट्रोल कर सकते हैं।

आयुर्वेद डॉक्टर इला बताती हैं कि थायराइड के रोगियों के लिए 4 महत्वपूर्ण प्राणायाम है जो थायराइड के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। वह बताती हैं कि जब उनके पास कोई थायराइड मरीज आता है तो वह उसे इन प्राणायामों को करने की सलाह देती हैं। दरअसल, एक अच्छी दिनचर्या और स्वस्थ जीवन शैली आपको किसी भी बीमारी से ठीक कर सकती है, जीवनभर दवा खाना का समाधान नहीं है।

कपालभाति
आयुर्वेद डॉक्टर सलाह देती हैं कि कपालभाति शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसे आप रोजाना 10-15 मिनट तक जरूर करें।

कैसे करें कपालभाति
    सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए चित्त मुद्रा बनाएं।
    गहरी सांस अंदर की ओर लें और झटके से सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें।
    इस प्रक्रिया को कुछ मिनटों तक लगातार करते रहें। एक बार में इसे 35 से लेकर 100 बार तक करना बेहतर होता है।

​भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम, जिसे हमिंग बी ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है, एक शांत श्वास अभ्यास है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और आपको आपके आंतरिक स्वभाव से जोड़ने में मदद करता है।

भ्रामरी प्राणायाम कैसे किया जाता है?
    शांत और अच्छी हवादार जगह पर बैठें और अपनी आँखें बंद कर लें।
    अपनी तर्जनी उँगलियों को दोनों कानों पर रखें।
    मुंह को बंद रखते हुए नाक से ही सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं।
    इस प्रकिया को 5 से 7 बार दोहराएं।

उज्जायी प्राणायाम
यह एक साँस लेने की तकनीक है जो हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को लाभ पहुँचाती है। इस तकनीक से थायरॉयड ग्रंथि को ट्रिगर करती है और आपकी सांस के साथ गले में घर्षण पैदा करती है। इसका 10-11 बार अभ्यास किया जा सकता है।

उज्जायी प्राणायाम कैसे किया जाता है?
    किसी भी आरामदायक आसन पर बैठ जाएं।
    सामान आसन में बैठने के पश्चात अपने गले पर ध्यान केंद्रित करें।
    गले से आने-जाने वाली श्वास का अनुभव करें।
    श्वांस के गहरी और धीमी हो जाने पर कंठ द्वार को संकुचित करें।
    अपने फेफड़ों को श्वास के माध्यम से पूरी तरह से भर लें और फिर पूरी तरह से खाली भी करें।
    आप इसे खड़े होकर या लेट कर भी कर सकते हैं।

​सिंहासन
आयुर्वेद डॉक्टर बताती हैं कि सिंघासन थायराइड को जड़ से खत्म करने में काफी कारगर है। यह आसन आंखों, चेहरे व गर्दन को स्वस्थ रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है। इस योगासन को रोजाना 7 से 11 बार करें।

कैसे करें सिंहासन
    अपने घुटनों को समान दुरी पर रखकर वज्रासन में बैठें।
    दोनों हाथो की हथलियों को पैरो के घुटनों पर रख दे।
    रीड की हड्डी को सीधा रखे, और गहरी साँस ले।
    जीभ को जितना हो उतना बहार की ओर निकले ।
    साँस को छोड़ते समय "हा" ध्वनि निकाले लें।
    शरीर को अंतिम स्थिति में आराम दें।

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