
सीहोर। अब जल्द ही सीहोेर जिले में फिर से सहकारिता की गूंज सुनाई देगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योेंकि अब फिर से सहकारिता को लेकर जहां केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाए हैं तो वहीं राज्य सरकार भी सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। प्रदेश सरकार ने पिछले दिनोें सहकारिता कानून में भी कई बदलाव किए हैं तो वहीं केंद्र सरकार भी सहकारिता से जुड़ी हुई कई योजनाओं को प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में सीहोर जिले के सहकारिता सेे जुड़े नेताओं एवं लोगोें की भी फिर से सक्रियता बढ़ने लगी है। ऐसी ही सक्रियता पिछले दिनोें सहकारिता से लंबे समय से जुड़े रहे नेता लोकेंद्र मेेवाड़ा की भी देखने कोे मिले। उन्होंने पिछले दिनों सीहोर पहुंचे सांसद रमाकांत भार्गव से सौंजन्य भेंट की तोे वहीं सहकारिता से जुड़े हुए मुद्दों पर भी दोनों के बीच में चर्चाएं हुईं। इसके बाद से अब कयास तेज हो गए हैं कि सीहोर में फिर से सहकारिता की गूंज सुनाई देगी। सहकारिता केे क्षेेत्र में हलचल दिखाई देगी।
सीहोर जिला हमेशा से सहकारिता के लिए जाना-पहचाना जाता रहा है। सीहोर जिले में जहां पूर्व विधायक रमेेश सक्सेना को इसके लिए जाना जाता है तो वहीं बुदनी विधानसभा के नेता रामनारायण साहू भी सहकारिता नेता के तौैर पर ही पहचाने जाते हैं। लंबे समय तक पूर्व विधायक रमेेश सक्सेना के साथ जुड़े रहे भाजपा के रणनीतिकार एवं सहकारिता नेता लोकेंद्र मेेवाड़ा भी सहकारिता का बड़ा चेहरा रहे हैं। हालांकि वे एक बेहतर रणनीतिकार के तौर पर भी अपनी पहचान को कायम रखने में कामयाब रहे हैं। दरअसल लोकेंद्र मेवाड़ा सीहोर की राजनीति का ऐसा चेहरा रहे हैं कि जब तक वे पूर्व विधायक रमेश सक्सेना के साथ रहे तोे रमेश सक्सेना लगातार चुनाव जीततेे रहे, लेकिन उनके पार्टी बदलने के साथ ही उन्हें चुनाव हारना भी पड़ा। इसके बाद वे विधायक सुदेश राय की चुनावी रणनीति में शामिल हुए तो विधायक सुदेश राय भी चुनाव जीते। अब लोकेंद्र मेवाड़ा फिर से सक्रिय दिखाई दिए तो उनकी चर्चाओं होना भी लाजिमी है। दरअसल गत दिवस सांसद रमाकांत भार्गव सीहोर पहुंचे। इस दौरान वे नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष विकास प्रिंस राठौर के कार्यालय भी पहुंचे। यहां पर सांसद से मिलने के लिए सहकारिता नेता एवं रणनीतिकार लोकेंद्र मेवाड़ा भी पहुंचे। उनकी मुलाकात हुई, कई पुरानी बातें हुई तोे वहीं सहकारिता से जुड़े हुए मुद्दोें पर भी दोनों के बीच में चर्चाएं हुईं। जब इस मुलाकात के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो फिर चर्चाएं भी शुरू हो गईं कि अब सहकारिता फिर से रफ्तार पकड़ेगी। हालांकि सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकारें भी लगातार सक्रिय हैं। सहकारिता के चुनाव भी होना है, इसकेे लिए भी कई तरह की रणनीतियां तैयार होने लगी है।