Rupee Vs Dollar : रुपये में कमजोरी से 50 फीसदी घरेलू कंपनियों का मुनाफा बढ़ा
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जहां एक ओर सरकार और आरबीआई के लिए सिरदर्द बन गई है, वहीं भारतीय कंपनियों के लिए यह मुनाफे का जरिया बन गई है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि उसकी रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों में करीब 50 फीसदी का मुनाफा रुपये में गिरावट की वजह से बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी, धातु और रसायन क्षेत्र की इन कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर से जुड़ा है। इसलिए रुपये में गिरावट का इन पर कोई असर नहीं पड़ा है बल्कि ईबीआईटीडीए (अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन व अमॉर्टाइजेशन) में इजाफा हुआ है। एसएंडपी ने कहा कि दूरसंचार जैसे घरेलू मांग से संबंधित क्षेत्र भी रुपये में गिरावट से अधिक प्रभावित नहीं हुए क्योंकि उन्होंने वित्तीय नुकसान से बचाव का बेहतर बंदोबस्त किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मुद्रा में गिरावट के बावजूद विप्रो,इन्फोसिस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां विशेषतौर पर लाभ में रही। इसकी प्रमुख है कि ये कंपनियां अपनी सेवाओं का डॉलर में निर्यात करती हैं,जबकि लागत रुपये में आती है।
वेदांता रिसोर्सेज जैसी स्थानीय धातु कंपनियों की कमाई में इजाफा हुआ है। कंपनी का अपना अनुमान है कि जब-जब रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक रुपये गिरेगा, उसका सालाना ईबीआईटीडीए करीब 5 करोड़ डॉलर बढ़ जाएगा।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा जोखिम
भारतीय कॉरपोरेट जगत में बुनियादी ढांचा (इन्फ्रा) क्षेत्र की कंपनियों और खासकर उच्च पूंजीगत खर्च वाली नवीकरणीय क्षेत्र की कंपनियों को रुपये में उतार-चढ़ाव की वजह से सबसे अधिक जोखिम उठाना पड़ता है। इसकी वजह है कि इन कंपनियों की निर्भरता डॉलर में कर्ज पर अधिक होती है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से होगी ब्याज दरों में वृद्धि
एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई इस साल मई से अब तक नीतिगत दरों में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। इससे रेपो दर बढ़कर तीन साल के उच्च स्तर 5.90 फीसदी पर पहुंच गई है। दिसंबर में होने वाली अगली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में भी केंद्रीय बैंक फिर ब्याज दरें बढ़ा सकता है।
छह महीने में 85 अरब डॉलर बेच चुका है केंद्रीय बैंक
रुपये की लगातार गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक एक अप्रैल, 2022 से 30 सितंबर, 2022 तक 85 अरब डॉलर बेच चुका है। अक्तूबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर था।