सिंगिंग फील्ड में ओवर नाइट स्टारडम कभी काम नहीं करता: अलका यागनिक
‘सुपरस्टार सिंगर’ शो के सीजन 2 से आपका जुड़ना कैसे हुआ? जब पहली बार मुझे इस शो के लिए अप्रोच किया गया था तब मैंने खुशी से आफर एक्सेप्ट किया। चूंकि मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं इसलिए बच्चों को सुनना एक अलग अनुभव होता है। मेरा एक्सपीरियंस इस शो को लेकर बहुत अच्छा रहा। इस बार भी जब मुझे अप्रोच किया गया तो मुझे हां ही कहना था। इस बार भी इस शो से जुड़कर अच्छा लग रहा है। उम्मीद है कि शो में एक से बढ़कर एक टैलेंट देखने को मिलेगा। सिंगिंग के दौरान किसी बच्चे से कोई चूक हो जाती है तो उसकी जजिंग में आप कितनी नरमी बरतती हैं? बच्चे बहुत नाजुक होते हैं। अगर किसी बच्चे से कोई गलती हो भी जाती है सिंगिंग के दौरान तो हमें अपना कमेंट बहुत सुगर कोट करके देना पड़ता है, उन्हें समझाना पड़ता है। उन्हें कोई निगेटिव बात भी बोलनी होती है कि तुम्हारे में ये कमी है तो उसे भी इतने प्यार से बोलना होता है कि उनका दिल न दुखे। यह भी एक हुनर होता है कि बच्चों को कैसे सिखाए कि उन्हें बिल्कुल न बुरा लगे। जज करते वक्त हमारी आवाज का जो टोन होता है, एक्सप्रेशन होता है वो जरा सा भी चेंज होता है तो उनका चेहरा उतर जाता है। कुछ जज पर्सनली कंटेस्टेंट्स की मदद करते हैं, क्या आप भी ऐसा कुछ करती हैं? डेफिनेटली करती हूं। मैंने कई रियलिटी शो जज किए हैं। उनमें से जो भी बच्चे मेरे संपर्क में हैं, उन्हें मैं गाइड करती रहती हूं। सभी मेरे पास अक्सर आते रहे हैं। जब जितनी संभव मदद हो सकती है उनकी मुझसे मैं करती हूं। ऐसा नहीं है कि बच्चे मुझे भूल गए या मैं उन्हें भूल गई। मेरे लिए हर बच्चा एक समान है। मैंने सिंगिंग में आने वाले इन बच्चों को अपनी आंखों के सामने बड़े होते हुए देखा है। इनमें से कई मुझसे मिलने आते रहते हैं। अगर मेरी मदद से उनका कुछ भला होता है तो मैं खुद को बहुत भाग्यशाली समझती हूं। क्या कभी कोई इंस्टीट्यूशन खोलने के बारे में भी विचार आया है? ऐसा विचार तो कई बार आया। पर जब भी इस बारे में कुछ करने का सोचती हूं, दूसरे कामों की इतनी मसरूफियत होती है इस पर आगे कुछ नहीं हो पाता। दरअसल ऐसा कुछ शुरू करने पर हमें उसे पूरा समय देना पड़ता है। काफी फोकस करना पड़ता है क्योंकि बच्चे आएंगे आपके पास आप उसे हल्के में नहीं ले सकते हैं, उनका पूरा फ्यूचर आपके हाथ में होता है। वे हमसे उम्मीद करेंगे कि हमें यहां संगीत से जुड़ा बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इसलिए होता ये है कि हम अपने कॉन्सर्ट्स, रियलिटी शो, कमिटमेंट में ऐसे बंधे होते हैं कि इनके बीच इस विचार पर आगे बढ़ने का मुझे वक्त नहीं मिला। हां, अगर आगे वक्त मिला तो जरूर इस पर काम करूंगी। पवनदीप और अरुणिता जैसे सिंगर चाइल्ड शो से होते हुए फिर 18 प्लस शो में आए, आगे इनका करियर कैसे देखती हैं?अभी तो इनकी शुरूआत हुई है। सभी का करिअर समान रूप से नहीं चलता है। हमने सभी का करियर बना देने का जिम्मा नहीं लिया है। हम बस इन टैलेंटेड बच्चों को एक मंच देते हैं जिससे उनका हुनर लोगों के सामने आए। बाकी सफल होना या न होना उनकी मेहनत पर निर्भर करता है। कई बार बच्चे लिटिल सिंगिंग शोज से निकलकर फिर एडल्ट सिंगिंग शो में आते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि दर्शकों को खुद को फिर से रिकॉल कराना चाहिए। किसी का कॅरिअर नहीं बन पाया है ऐसा नहीं है, सभी कहीं न कहीं काम पा रहे हैं। हम इन शोज के जरिए उन्हें ग्रूम करते हैं, पॉलिश करते हैं और फिर उन्हें आगे बढ़ने के लिए छोड़ देते हैं। ये सभी बच्चें फील्ड में जब आ जाते हैं तो ये इनकी तकदीर है, इनका फोकस है कि वे कितना आगे जाते हैं। ओवरनाइट स्टारडम कभी काम नहीं करता, धीरे-धीरे की गई मेहनत रंग लाती है। सिंगिंग करियर को लेकर अब क्या चुनौतियां पाती हैं? देखिए, करियर में चैलेंज तो बहुत आ गया है। आज इतने सिंगर्स निकल रहे हैं। सभी इंडस्ट्री में मेहनत कर रहे हैं पर सभी का लक साथ दे, ऐसा नहीं हो पाता। सभी सफल हो जाएं ये भी जरूरी नहीं है। आज के बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल बहुत हाई है। कोई बहुत आगे बढ़ जाता है तो कोई बीच में रह जाता है। अब आगे ये देखने वाली बात ये है कि इस शो के बच्चे कहां तक पहुंचते हैं।