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फिल्म ‘मिशन मजनू’ की तुलना ‘राजी’ से किए जाने पर सिद्धार्थ मल्होत्रा का बयान 

सिद्धार्थ मल्होत्रा और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म 'मिशन मजनू' 20 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। फिल्म में सिद्धार्थ तारिक की भूमिका निभाते नजर आए हैं, जो कि पाकिस्तान में एक भारतीय जासूस है। वहीं, फिल्म में अभिनेत्री रश्मिका मंदाना नासरिन का रोल अदा करती हैं, जो कि एक पाकिस्तानी है। फिल्म 'राजी' और 'मिशन मजनू' की तुलना को लेकर अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक इंटरव्यू में बात की और। ज्ञात हो कि 'मिशन मजनू' फिल्म के निर्माता शांतनु बागची और को प्रोड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला, अमर बुटाला और गरिमा मेहता हैं। 

फिल्म के निर्माताओं के मुताबिक 'मिशन मजनू' साल 1970 के दशक की फिल्म है, जो कि एक सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा RAW एजेंट के रूप में दिखाए गए हैं, जो कि भारत के एक खतरनाक मिशन को पूरा करने के लिए पाकिस्तान में होते हैं। फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद से कुछ लोगों ने इसकी आलिया भट्ट की फिल्म 'राजी' से तुलना शुरू कर दी थी। आलिया भट्ट और विक्की कौशल स्टारर फिल्म 'राजी' में अभिनेत्री एक 20 साल की कश्मीरी लड़की के किरदार में नजर आती हैं। जिसके बाद अभिनेत्री आलिया भारत की जासूस सहमत बनकर पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर से शादी करती हैं और भारतीय आर्मी को सभी तरह की जानकारियां पहुंचाती हैं।
इंटरव्यू के दौरान सिद्धार्थ मल्होत्रा ने 'मिशन मजनू' और 'राजी' की तुलना को लेकर कहा कि लोग किसी भी फिल्म को लेकर एक पॉइंट ढूंढते हैं तो यह कोई बुरी बात नहीं है। 'राजी' एक अच्छी फिल्म है। ऐसा नहीं है कि तुलना कोई खतरनाक चीज है। हां कुछ चीजों के अनुसार लोगों को फिल्म का ट्रेलर एक जैसा लग सकता है। 'मिशन मजनू' 1970 के दशक की है और कुछ चीजें समान है, लेकिन मुझे लगता है कि चीजों का अनुभव पूरी तरह से अलग है। सिद्धार्थ ने कहा कि एक बार जब सभी लोग फिल्म देख लेगें, तो इसपर सही तरीके से चर्चा भी कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छी फिल्म के साथ तुलना बुरी नहीं  है। 

इसके आगे उन्होंने कहा कि लेखन में पूरी कोशिश की गई है कि यह किसी विशेष समुदाय को लेकर कभी न हो। मैंने हाल ही में शेरशाह फिल्म की थी, जो भारत और पाकिस्तान पर आधारित है। इस फिल्म में जो लड़ाई दोनों देशों के बीच हुई थी, जोकि डॉक्यूमेंट था। उन्होंने कहा जब आप फिल्म देखेंगे, तो समझेंगे कि हमने वाकई में दूसरी तरफ( पाकिस्तान) के चार सीन को छोड़कर ध्यान नहीं दिया है। यह पूरी तरह से भारत के बारे में और कप्तान विक्रम बत्रा की कहानी है, जो शहीद हो जाते हैं। 'मिशन मजनू' फिल्म में भी कुछ ऐसा ही है। किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, ये सिर्फ डॉक्योमेंटेड इतिहास पॉइंट हैं। जोकि कभी पूरे नहीं होंगे। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग भी फिल्म के ट्रेलर देखने के बाद तुलना कर रहे हैं, तो यह कहना सही होगा कि उन्हें फिल्म देखनी चाहिए।
 

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