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सीहोर में खुले एक औैर केंद्रीय विद्यालय, लगातार हो रही है मांग

- विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी चाहते हैं कि खुले एक और केेंद्रीय विद्यालय

सीहोर। जिला मुख्यालय पर स्थित केंद्रीय विद्यालय मेें ज्यादा सीटें नहीं होने के कारण बच्चोें का एडमिशन नहीं हो पाता है। ऐसे में अब सीहोर में एक और केंद्रीय विद्यालय खुलने की मांग भी जोर पकड़नेे लगी है। विधायक सुदेश राय सहित अन्य प्रतिनिधि भी चाहते हैैं कि सीहोर में एक और केेंद्रीय विद्यालय खुले, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे अपना एडमिशन इन विद्यालयों में ले सके।
ेसीहोर जिला मुख्यालय पर केंद्रीय विद्यालय कक्षा पहली से 12वीं तक संचालित है। यहां की प्रत्येक कक्षा में दो सेक्शन है औैर प्रत्येेक सेक्शन में 40-40 बच्चों का एडमिशन ही हो पाता है। ऐसे में अन्य छात्र-छात्राएं जो केंद्रीय विद्यालय में पढ़ना चाहतेे हैं वे वंचित रह जाते हैं। दरअसल केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में आवेेदन आते हैैं। इस वर्ष भी हजारोें की तादाद में बच्चों के आवेदन फार्म एडमिशन के लिए आए हैं, लेकिन ज्यादा सीटें नहीं होने के कारण उनका एडमिशन नहीं हो पाता है।
विधायक बोले, जरूरी है एक औैर केंद्रीय विद्यालय-
सीहोर विधायक सुदेेश राय का मानना है कि नगर सहित आसपास के क्षेत्र के हजारों बच्चे सीहोर में अध्ययनरत हैं। इसी तरह यहां पर कई केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कर्मचारी भी हैं। केंद्रीय विद्यालयों में केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कर्मचारियोें को ही प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन अब इन स्कूूलों में आम लोगों के बच्चे भी पढ़ना चाहते हैैं, लेकिन सीटें नहीं होने के कारण इनका एडमिशन नहीं हो पाता है। इसके लिए अब जरूरी है कि सीहोर में एक और केंद्रीय विद्यालय खुलना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इनमें एडमिशन ले सके। भाजपा के जिलाध्यक्ष रवि मालवीय कहते हैैं कि केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन के लिए लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। अब वे इन स्कूलों में एडमिशन कराना चाहते हैं, लेकिन सीटें नहीं होने के कारण उनका एडमिशन नहीं हो पाता है। जरूरी है कि जिले में एक और केंद्रीय विद्यालय खोला जाए।
केंद्रीय विद्यालय को लेकर आम लोगों की भी यही इच्छा है। सीहोर के विनय रावत कहतेे हैं कि अभी उनका बेटा निजी स्कूल में पढ़ रहा है, लेकिन अब वे उसका एडमिशन केंद्रीय विद्यालय में कराना चाहते हैं, लेकिन सीटें नहीं होने के कारण दिक्कते आती हैं। इसके लिए जरूरी है कि जिला प्रशासन नगर में एक और केंद्रीय विद्यालय खुलवाने के प्रयास करे, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इन स्कूलों में पढ़कर अपना भविष्य संवारें। नगर के दीपक शर्मा कहते हैं कि केंद्रीय विद्यालयों की पढ़ाई बेहतर है। जिस तरह से शिक्षा का स्तर बदल रहा है उसके अनुसार केंद्रीय विद्यालय बेहतर ऑप्शन है। आज देश-प्रदेश में ज्यादातर आईएएस, आईपीएस सहित अन्य अधिकारियों में से ज्यादातर केंद्रीय विद्यालय के पढ़े हुए ही हैं। इसके लिए अब लोगों में इन विद्यालयों केे प्रति नजरिया बदला है।
इनका कहना है-
यह सही है कि हर वर्ष बड़ी संख्या में बच्चों के एडमिशन फार्म आते हैं, लेकिन सभी का एडमिशन नहीं हो पाता है। हमारेे केंद्रीय विद्यालय में सीटें कम होने केे कारण हमारे हाथ में भी कुछ नहीं होता है। कुछ सीटें हमेें रिजर्व भी रखनी पड़ती है, क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता केंद्रीय कर्मचारी, सेना के जवानों के बच्चे भी हैं। यदि बीच सत्र में कोई आता है तो हमें उन्हें भी एडमिशन देना पड़ता है। सीहोर में जरूरत तो है, लेकिन यह निर्णय हाई अॅथारिटी को लेना है।
– डॉ. जीवन वर्मा, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय, सीहोर

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