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सोरायसिस त्वचा रोग के बारे में मिथकों को तोड़ें

सोरायसिस एक क्रॉनिक ऑटोइम्यून कंडिशन है, जिसमें स्किन सेल्स तेजी से बनते हैं। इस बिल्डअप के कारण त्वचा पर सफेद लेयर सी बनना शुरू हो जाती है। दरअसल, हमारे शरीर में नए सेल्स बनते हैं और ऊपर की ओर उठते हुए त्वचा के जरिए बाहर झड़ जाते हैं। ये पूरा साइकल एक महीने का होता है। हालांकि, सोरायसिस की स्थिति में ये प्रॉसेस कुछ ही दिनों में होने लगता है और सेल्स झड़ते नहीं, जिससे वो इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं। ये पैच आमतौर पर कोहनी, घुटनों, गर्दन और स्कैल्प पर बनते हैं।
डॉक्टर निकिता ने अपनी पोस्ट में सोरायसिस (Psoriasis) से जुड़े कौन से मिथक और उनसे जुड़े सच शेयर किए, चलिए जानते हैं।

    मिथक: सोरायसिस छूने से फैलता है। सच: बिल्कुल नहीं।

    मिथक: सोरायसिस सिर्फ बड़ों को होता है। सच: ये बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।

    मिथक: सोरायसिस का कोई इलाज नहीं है। सच: आयुर्वेद में इसका सुरक्षित और असरदार इलाज मौजूद है।

    मिथक: ये सिर्फ त्वचा पर खुजली की बीमारी है। ये ज्यादा गंभीर नहीं होती।

सच: सोरायसिस का कुछ गंभीर बीमारियों से भी संबंध है। जैसे डायबिटीज, लिवर और हार्ट की बीमारी। ये जोड़ों पर भी असर डाल सकती है और गठिया को जन्म दे सकती है, जिसे Psoriatic Arthritis कहते हैं।

    मिथक: इसके लिए आप अपने परिवार को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। सच: माता-पिता को अगर सोरायसिस है, तो ये जीन्स के जरिए आगे की पीढ़ी में भी जाता है।

    मिथक: सोरायसिस को पहचानना आसान है। सच: सोरायसिस के कई प्रकार हैं और इन सभी के लक्षण एक-दूसरे से अलग हैं।

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