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दिमाग में छुप जाता है इबोला वायरस, फिर सालों बाद करता है वार

इलाज के बाद दिमाग में छुप जाता है इबोला वायरस, फिर सालों बाद करता है वार इबोला वायरस से होने वाली बीमारी काफी दुर्लभ और जानलेवा है। लोगों में यह वायरस संक्रमित जानवर या इससे बीमार या मृत इंसान से फैल सकता है। इसे लेकर साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में एक बड़ी रिसर्च प्रकाशित हुई है।

इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इबोला वायरस इलाज के दौरान दिमाग में छुप जाता है और सालों बाद मरीज को दोबारा संक्रमित करके उसकी जान ले सकता है। इबोला वायरस डिसीज (एश्ऊ) एक गंभीर बीमारी है जिससे मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। पूरी दुनिया में इस रोग से पीड़ित मरीजों में 25% से 90% की मौत होती है। यह बीमारी इबोला नाम के वायरस की वजह से फैलती है। यह 1976 में पहली बार 2 स्थानों पर एक साथ फैला था। ये हैं- नजारा (सूडान) और यामबुकु (कांगो)। इसका नाम इबोला नदी (कांगो) के ऊपर रखा गया है।

अफ्रीका में फैल रही बीमारी
स्टडी में शामिल वैज्ञानिक जियानकुन (केविन) जेंग का कहना है कि हाल ही में अफ्रीका में जिन लोगों को इबोला वायरस हुआ है, असल में उनमें से कुछ पहले ही इससे जूझ चुके हैं। यह खासकर पश्चिम अफ्रीका के गिनी देश में देखा जा रहा है। 2021 में यहां इबोला वायरस की बीमारी फैलने के पीछे एक ऐसा व्यक्ति था, जो 5 साल पहले इस वायरस का शिकार हुआ था। यानी तब से लेकर अब तक उसमें इबोला वायरस बरकरार था।

बंदरों पर हुई रिसर्च
शरीर में इलाज के बाद इबोला वायरस कहां छुपता है, इसका पता लगाने के लिए जेंग और उनकी टीम ने बंदरों पर रिसर्च की। वैज्ञानिकों ने पाया कि 20% ऐसे बंदर जो इबोला वायरस के गंभीर संक्रमण से इलाज के जरिए ठीक हो चुके थे, उनके ब्रेन के एक हिस्से- वेंट्रिकुलर सिस्टम में वायरस मौजूद था। बंदरों के शरीर के बाकी हर अंग में वायरस का संक्रमण खत्म हो चुका था। जेंग के अनुसार, दो बंदरों को इलाज के बाद भी बार-बार इबोला वायरस का इन्फेक्शन होता रहा, जिससे उनकी मौत हो गई। उनके दिमाग में बहुत ज्यादा सूजन और वायरस का खतरनाक संक्रमण हो गया था। रिसर्च में बताया गया है कि अच्छी इम्यूनिटी वाले मरीजों में इबोला वायरस केवल ब्रेन नहीं, बल्कि आंखों और टेस्टिकल में भी छुपने में सक्षम है।

इबोला वायरस का संक्रमण मानव जाति के लिए बड़ा खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इबोला वायरस से होने वाली बीमारी इंसानों के लिए अब तक की सबसे घातक बीमारियों में से एक है। अफ्रीका के कई देशों में यह अब भी बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है। सिर्फ 2021 में ही यहां 3 बार ये बीमारी फैली थी। जेंग के अनुसार, इबोला वायरस पर हो रही लगातार रिसर्च, इसके लिए विकसित की गई वैक्सीन्स और मौजूदा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेराप्यूटिक इलाज से हम इस बीमारी को समझकर रोक सकते हैं।

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