कैलाशवासी महाराज की जयंती पर विशेष आलेख

पीपुल्स प्रिंस : श्रीमंत माधवराव सिंधिया
अमिताभ पाण्डेय
आज के दौर में राजनीति सेवा नहीं स्वार्थ सिद्धि का साधन हो गई है ।
उचित ~ अनुचित प्रकार से कुर्सी पाना और उस पर जमे रहना ही स्वार्थी नेताओं का लक्ष्य हो गया है।
आदर्श , ईमानदारी , सिद्धांत, न्याय प्रियता , पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता के प्रति भी स्नेह का भाव , सहयोग , उदारता जैसे गुण कैलाशवासी माधव महाराज में थे।
अब ऐसे गुण बहुत ही कम नेताओं में देखने को मिलते हैं। राजघराने का वैभव छोड़कर आम जनता की आजीवन सेवा करने वाले कैलाशवासी महाराज श्रद्धेय श्रीमंत माधवराव सिंधिया बेमिसाल थे। उनकी निर्भीक, निष्पक्ष और निर्णायक कार्यशैली ने राजनीति में रुचि न रखने वाले लोगों का भी ध्यान आकर्षित किया । इस आलेख के लेखक को भी उनका स्नेह , आशीर्वाद मिला ।
कैलाशवासी महाराज अपने अद्वितीय अंदाज से जनसेवा कर जननायक बने और भारतीय राजनीति के आकाश पर विराट प्रकाश पुंज की तरह छा गए ।
उनकी चमक ने मेरे जैसे हजारों नौजवानों को आकर्षित किया।
उनकी छवि और पहचान पीपुल्स प्रिंस के रूप में कायम रही।
श्रीमंत सिंधिया भारतीय राजनीति के ऐसे चमकदार नक्षत्र थे जिसकी ऊर्जा ने कई नौजवानों का भविष्य जगमगा दिया।
हमारा मानना है कि मनमोहक व्यक्तित्व के धनी ओजस्वी और विलक्षण प्रतिभा के धनी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाद माधव महाराज युवाओं की उम्मीद और भारत का भविष्य थे।
सौम्य , सुदर्शन , श्रेष्ठ विनम्रता के प्रतीक , चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी एवं छल कपट से रहित राजनीति करने वाले श्रीमंत सिंधिया को वचनबद्धता के लिए भी सदैव याद रखा जाएगा । विनम्रता के प्रतीक माधव महाराज के लिए राजनीति वाकई जनता की सेवा का माध्यम ही थी, वरना अपार संपत्ति एवं राजमहलों का आराम छोड़कर जंगलों~ गांव ~ गलियों की खाक छानने की किसको फुर्सत है ?
श्रीमंत सिंधिया हिंदुस्तान की ऐसी शख्सियत थे जिनकी सादगी ने जनता का दिल जीत लिया था। उनसे हर कोई ~ हर कहीं ~ हर कभी मिल सकता था।
एक बार उनकी मुलाकात ही लोगों को सिंधिया महाराज का भक्त बना देने के लिए काफी होती थी ।
लगातार 9 बार संसद सदस्य चुने गए श्रीमंत माधवराव सिंधिया ने 3 दशक से अधिक समय तक बेदाग ~ निर्भीक~ निष्पक्ष~ निर्णायक और उदार राजनीति के आदर्श कीर्तिमान स्थापित किए।
उन्होंने गरिमामय राजनीति की जो मिसाल कायम की वह आज भी जनसेवा आकांक्षी समाज सेवकों को प्रेरणा देती है ।
अपनी पार्टी में मैदानी कार्यकर्ता को पूरा सम्मान मिले, यह उनका सदैव प्रयास रहता था।
सहज व्यवहार के कारण वे कार्यकर्ताओं का मन जीत लेते थे।
श्रीमंत सिंधिया ने शानदार राजनीति की लेकिन उनका मन अराजनीतिक था। उनके आचार~ विचार , चर्चा एवं चिंतन में कहीं भी राजनीतिक चातुर्य नहीं दिखाई देता था ।
उनके व्यवहार में संवेदनशीलता~ सहानुभूति ~ सरलता और सहयोग की भावना सदैव झलकती थी ।
राजनीतिक मूल्यों की गिरावट के इस दौर में जहां आए दिन मंत्री पद की कुर्सी के लिए घमासान होने की घटनाएं देखने सुनने को मिलती रहती हैं वही श्रीमंत माधवराव सिंधिया ने रेल मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री के पद से त्यागपत्र देकर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया।
उल्लेखनीय है कि भारत में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री और श्रीमंत माधवराव सिंधिया ही ऐसे राजनेता हुए हैं जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया वरना गंभीर घटनाओं , घपले ~ घोटालों के दोषी होकर भी मंत्री पद की कुर्सी कोई छोड़ना नहीं चाहता ।
उन्होंने आदर्शों को अपने जीवन में अपनाया इसीलिए कहा जाता है कि " श्रीमंत सिंधिया न ~ भूतो न भविष्यति "
श्रीमंत सिंधिया जैसा न कोई हुआ है , ना होगा।
रेल मंत्री के रूप में श्रीमंत सिंधिया का कार्यकाल अविस्मरणीय रहा है।
उन्होंने जनता के लिए अनेक सुविधाएं प्रारंभ करवाई ।
उनके कार्यकाल में रेलवे स्टेशनों को बेहतर बनाने की शुरुआत हुई।
उनके मंत्री बनने के बाद हवाई अड्डों पर भी नागरिकों को अधिक सुविधाएं मिली।
श्रीमंत सिंधिया के कामकाज का तरीका ऐसा था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर चौक चौराहे पर रहने वाले आम आदमी तक सभी उनके प्रशंसक थे।
वे भारत का भविष्य थे ।
अनेक संभावनाओं से भरे श्रीमंत सिंधिया का बेवक्त कैलाश वासी हो जाना हम सबके लिए हतप्रभ कर देने वाला सदमा रहा ।
अनेक सुखद संभावनाओं से भरे श्रीमंत महाराज देश की जनता के लिए उम्मीद का चिराग थे ।
वे अचानक ही चले गए।
यह हम सब की व्यक्तिगत क्षति है जिसकी पूर्ति अब कभी ना होगी ।
श्रीमंत सिंधिया के अवसान से अनेक युवाजनों में भी गहरी निराशा का भाव गहराया। राजनीति में आदर्श प्रतिमान स्थापित करने वाले गरिमामय जनसेवक को सदैव जनता याद करती रहेगी ।
कैलाशवासी श्रीमंत महाराज आज भी हमारे मन में है।
जन-जन के मन में है।
उनकी जयंती के मौके पर हम उनका पुण्य स्मरण करते हैं ।