भोपालमध्य प्रदेश

30 फ़ीसदी शराब दुकानों का नहीं हुआ नवीनीकरण

ई टेंडर के माध्यम से होगी शराब दुकानों की नीलामी
ठेकेदारों की रिजर्व प्राइज कम करने की मांग

भोपाल । मध्यप्रदेश में आबकारी विभाग द्वारा शराब दुकानों की नवीनीकरण की प्रक्रिया के बाद, मध्य प्रदेश की 30 फ़ीसदी शराब दुकान ठेकेदारों ने नहीं ली हैं। शराब ठेकेदारों द्वारा लाटरी प्रक्रिया का भी बहिष्कार किया गया है। अब आबकारी विभाग 14 मार्च से लेकर 18 मार्च के बीच ई टेंडर की प्रक्रिया शुरू करेगा। शराब ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया का विरोध शुरू कर दिया है। ठेकेदारों का कहना है, कि रिजर्व प्राइज ज्यादा है। सरकार ने ठेके के अहाते बंद कर दिए हैं। ठेकेदारों को उम्मीद है, कि सरकार रिजर्व प्राइज को कम करेगी। पिछली बार भी सरकार ने पांचवें चरण की प्रक्रिया में रिजर्व प्राइज को कम किया था। मध्य प्रदेश की जो 30 फ़ीसदी मदिरा दुकानें नीलाम होने से रह गई हैं। उनकी प्राइज 25 फ़ीसदी घटाने की मांग ठेकेदार कर रहे हैं।

सरकार को ब्लैकमेल कर रहे ठेकेदार
पिछले साल सरकार ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए 15 से 25 फ़ीसदी तक रिजर्व प्राइज बढ़ाई थी। इस साल ठेके की रिजर्व प्राइज में केवल 10 फ़ीसदी की वृद्धि की गई है। इसके बाद भी शराब ठेकेदार रिजर्व प्राइज कम करने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। ठेकेदार सरकार द्वारा 85 फ़ीसदी शराब उठाने की बाध्यता भी नुकसानी का सबसे बड़ा कारण बता रहे हैं। ठेकेदारों को विश्वास है, कि सरकार इस महीने के अंत तक रिजर्व प्राइज घटाकर ठेकों को आवंटित करेगी।

भोपाल में सबसे ज्यादा विरोध
वित्तीय वर्ष 2023 -24 में भोपाल जिले की एक भी दुकान का नवीनीकरण नहीं हुआ। ठेकेदार रिजर्व प्राइज को कम करने की मांग कर रहे हैं। ठेकेदारों ने कह दिया है, कि वह 13 मार्च से 17 मार्च तक ई टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे। शराब ठेकेदारों ने 87 मदिरा दुकानों का नवीनीकरण नहीं कराकर,अपना विरोध सरकार के पास दर्ज करा दिया है।

शराब दुकानों के आहते बंद होंगे
1 अप्रैल से शराब दुकानों के आहते में शराब की बिक्री बंद हो जाएगी। वर्तमान में जो शराब ठेकेदार थे। उन्होंने आहते के लिए भी बड़ी जगह किराए पर ले रखी थी। वर्तमान में जहां शराब की दुकानें संचालित की जा रही थी।मकान मालिक कम किराए पर दुकानें संचालित करने के लिए जगह देगा, या नहीं। यह भी शराब ठेकेदारों की चिंता है। जिसको लेकर ठेकेदार रिजर्व प्राइज कम करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

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