इंदौरमध्य प्रदेश

इंदौर में 4 करोड़ की लागत से बनेगा गौ-तीर्थ,1200 गौ-वंश रहने की सुविधा

इंदौर

इंदौर के पास श्रीश्री विद्याधाम मंदिर ट्रस्ट मंडल पूज्य श्री "भगवन" गौ-तीर्थ बना रहा है। प्रारंभिक रुप से 4 करोड़ रुपए इसे बनाने में खर्च होंगे। गौ-तीर्थ में पहले 200 फिर धीरे-धीरे 1200 गायों के रहने, खाने के साथ ही अन्य सभी सुविधाएं रहेगी। इस तीर्थ को कुछ ऐसा बनाया जा रहा है कि यहां अगर किसी को गौ-वंश के बीच समय बिताना है, तो वे यहां कुछ दिन रुक भी सकेंगे। इस काम की शुरुआत हो चुकी है। यहां बाउंड्रीवॉल बनकर तैयार हो गई है। इसके साथ ही यहां भूसा घर बनाया जा रहा है।

विद्याधाम मंदिर से है 14KM दूर
यह गौ-तीर्थ श्रीश्री विद्याधाम मंदिर से 14KM दूर हतोद के पास ग्राम काकरिया बोडिया में बन रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य गौ-वंश की सेवा, विकास और संवर्धन है। यहां गायों को खुला रखा जाएगा। 10 बीघा जमीन पर तीर्थ को बनाया जाएगा। इसमें गायों के लिए कई सुविधाएं रहेगी। तीर्थ तैयार होने पर श्रीश्री विद्याधाम मंदिर से पहले 200 गायों को वहां रखा जाएगा बाद में 1200 गायों को रखा जाएगा। यहां 24 घंटे उनके पानी-चारे की व्यवस्था रहेगी।

संतों और आमजन के रुकने की व्यवस्था, बच्चों के लिए प्ले जोन भी
ट्रस्ट मंत्री पं.दिनेश शर्मा और महामंत्री पूनमचंद अग्रवाल के मुताबिक 10 बीघा जमीन को दो हिस्सों में बांटा है। इसमें 5 बीघा जमीन गायों के चरने के लिए रहेगी। इसके अलावा यहां दो कॉटेज बनाए जाएंगे, जिसमें संत या आमजन आकर कुछ दिन रुक सकेंगे। साथ ही बच्चों के लिए प्ले जोन भी बनाया जाएगा। आधा बीघा जमीन पर एक तालाब बनेगा। यहां आने वाले लोगों के लिए भोजन बनाने की व्यवस्था भी की जाएगी।

उद्यान और नक्षत्र वाटिका के साथ मंदिर भी
पं. शर्मा और कोषाध्यक्ष राजेंद्र महाजन ने बताया गौ-तीर्थ में एक उद्यान बनाया जाएगा। इसके अलावा यहां पेड़ों की नक्षत्र वाटिका भी तैयार की जाएगी। साथ ही यहां शिव मंदिर या कृष्ण मंदिर बनाने की भी योजना है। यहां गौ-वंश के स्टैच्यू भी लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि गौ-तीर्थ का निर्माण ट्रस्ट के सहयोग और फिर जन सहयोग से किया जाएगा।

मंदिर में 5 गौ-शालाएं, 400 गौ माता
उन्होंने बताया फिलहाल श्रीश्री विद्याधाम मंदिर में 5 गौ-शालाएं बनी हैं, जिसमें 400 गाय हैं। यहां रोजाना कई लोग गाय को चारा खिलाने आते हैं। गौशाला में गायों का विशेष ध्यान रखा जाता है। उनके पानी, चारे के साथ ही गर्मी में पंखों की भी व्यवस्था यहां है। फिलहाल यहां बाहर से गाय नहीं ली जा रही है। अगर किसी को गोदान करना होता है, तो वे यहीं की गाय को दान कर देते हैं।

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