कैबिनेट से मंजूर हुआ राज्य स्तर पर सायबर तहसील, बंटवारे के प्रकरणों का होगा तेजी से निराकरण
भोपाल
प्रदेश में सायबर तहसील खोलने का फैसला कैबिनेट से मंजूर होने के बाद अब राजस्व विभाग इसके नियम बनाने में जुट गया है। नियम बनते ही प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सायबर तहसील खोलने का काम किया जाएगा। सरकार राज्य स्तर पर जिलों को एक यूनिट मानते हुए भी सायबर तहसील खोलने की मंशा पर काम कर रही है और इसके नतीजे सार्थक मिलने के साथ ही इसकी संख्या बढ़ाने का काम किया जाएगा।
शिवराज कैबिनेट द्वारा पिछले माह जिलों में सायबर तहसील खोलने के राजस्व विभाग को मंजूरी दी गई थी। अभी जो व्यवस्था तय की जा रही है उसके अनुसार जिले में सायबर तहसील का दफ्तर नहीं होगा बल्कि राज्य स्तर पर जिलों को यूनिट मानकर सायबर तहसील खोली जाएगी। इसमें आरसीएमएस और आॅनलाइन रजिस्टेÑशन के अन्य माध्यमों के जरिये प्रदेश के किसी भी तहसील के अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरणों को शामिल कर उसका निराकरण किया जाएगा। जिले के अफसरों को इसकी जानकारी आदेश होेने के बाद होगी। इसके बैकग्राउंड की तैयारी का काम अभी मंत्रालय में राजस्व अधिकारी कर रहे हैं। इसके लिए टेÑनिंग देने का काम भी किया जा रहा है। इसके बाद आगे इसमें बदलाव किए जा सकेंगे।
अविवादित नामांतरण पेंडिंग रहने के मामलों के निराकरण के लिए राज्य भूमि सुधार आयोग ने सरकार को सुझाव दिए थे। इसमें कहा गया था कि अविवादित मामलों में आवेदक या पक्षकार के भौतिक रूप से उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए ऐसे प्रकरणों कोे निराकृत करने हर जिले में एक तहसीलदार स्तर के न्यायालय की अलग से व्यवस्था की जाए। आॅनलाइन और आरसीएमएस पंजीकृत या डाक द्वारा भेजे जाने वाले नामांतरण और बंटवारे के मामले में तय समय सीमा के लिए पक्षकारों को सूचना और तामीली जारी की जाए और अगर तय अवधि तक कोई आपत्ति नहीं आती है तो उसे अविवादित मानते हुए उसका निराकरण किया जाए।
अगर ऐसा राजस्व न्यायालय खोलने पर सरकार सहमत हो तो इसे जिला मुख्यालय स्तर पर ही संचालित किया जाए जिसमें जिले के सभी अविवादित मामलों को शामिल किया जा सके। अगर किसी को अविवादित रूप में प्रस्तुत किए गए नामांतरण, बंटवारे के नोटिस में आपत्ति है और आपत्ति आती है तो उसे संबंधित तहसील के न्यायालय में स्थानांतरित किया जा सकेगा। ऐसी व्यवस्था तय होने से बगैर विरोध वाले नामांतरण व बंटवारे के केस का निराकरण आसानी से और जल्दी हो जाएगा।
इनका कहना
विभाग द्वारा सायबर तहसील के लिए नियम बनाने का काम शुरू किया गया है। इसमें दो से तीन माह का समय लग सकता है। इसमें ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि शुरुआती दौर में राज्य स्तर पर जिलों को एक यूनिट मानकर सायबर तहसील खोली जाए जो कहीं के भी प्रकरण ले सके। किसी को पता ही नहीं चले कि उसकी तहसील का केस आ गया है। इससे काम की क्वालिटी भी सुधरेगी।
मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग