इंदौरमध्य प्रदेश

इंदौर संभाग में गौचर की भूमि सुरक्षित नहीं, सुध लेगी सरकार

इंदौर
प्रदेश में दखल रहित गैर खाते की भूमि (सरकारी जमीन) की सुध अब सरकार लेगी। इस मामले में उन सात जिलों के कलेक्टरों से रिपोर्ट ली जएगी जहां सवा लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि दखलरहित भूमि के रूप में राजस्व नक्शे और खसरे में दर्ज है। इस भूमि की मौजूदा स्थिति की जानकारी मिलने के बाद अब यहां रिक्तता की स्थिति में नए प्लान पर विचार किए जाने की तैयारी है। उधर 45 जिलों में वन क्षेत्रों से सटी दखल रहित भूमि नहीं होने की जानकारी सामने आई है।

राज्य सरकार ने पिछले महीनों में यह जानकारी जुटाई थी कि प्रदेश में मध्यप्रदेश भू -राजस्व संहिता 1959 की किसी भी धारा में गैरखाते की दखल रहित भूमियों को आरक्षित वन एवं संरक्षित वन अधिसूचित करने और पटवारी मानचित्र तथा खसरा पंजी से पृथक करने का प्रावधान है या नहीं हैं। इस पर बताया गया है कि ऐसे प्रावधन संहिता में नहीं हैं किन्तु भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 एवं 29 में आरक्षित वन एवं संरक्षित वन बनाए जाने के प्रावधान हैं। इसके आधार पर जिलों से जानकारी मंगाई गई तो पता चला कि प्रदेश में रीवा, झाबुआ, देवास, सीहोर, मंदसौर, शिवपुरी, अलीराजपुर जिलों में वन और राजस्व भूमि का सीमांकन कर एक लाख 27 हजार हेक्टेयर जमीन को दखल रहित भूमि के दायरे में लाया गया है। अब इस जमीन के उपयोग को लेकर रिक्त होने की स्थिति में आगे की प्लानिंग की जाएगी।

सरकार को मिली रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के इन्दौर संभाग में राजस्व अभिलेख अनुसार 12496.736 हेक्टेयर भूमि गौचर हेतु आरक्षित रखी गई है किन्तु इस जमीन पर बार-बार बेजा कब्जा और अतिक्रमण हो रहा है। सरकार इस भूमि का सही उपयोग नहीं कर पा रही है। झाबुआ में म.प्र.भू-राजस्व संहिता के प्रावधान अनुसार 2 प्रतिशत चरनोई भूमि आरक्षित रखी गई है। धार जिले में 24542.2011 हेक्टेयर, खरगोन में 33230 हेक्टेयर शासकीय भूमि गोचर के लिए आरक्षित रखी गई है। खंडवा में 30039 हेक्टेयर, बड़वानी में 8887 हेक्टेयर, बुरहानपुर में 6608.34 हेक्टेयर और अलीराजपुर में 3460 हेक्टेयर भूमि गौचर के लिए आरक्षित है लेकिन इस जमीन पर हर साल अतिक्रमण और बेजा कब्जे होते हैं।

भू-राजस्व संहिता 1959 संशोधन अधिनियम 2018 की धारा-2 की उपधारा (य-3) में दखल रहित भूमि के दायरे में ऐसी भूमि आती है जो आबादी या सेवा भूमि से या किसी भूमिस्वामी या सरकारी पट्टेदार द्वारा धारित भूमि से भिन्न है। भू राजस्व संहिता की धारा-233 (अध्याय-18) के प्रावधान अनुसार दखल रहित भूमियों का संधारण जिलों में कलेक्टर द्वारा किया जाता है।

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