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7.50 करोड़ रूपए में सरकार ने बेच दी पचामा प्लांट की मशीनें

प्रदेशभर में हैं तिलहन संघ की करोड़ों की प्रापर्टी, लेकिन कर्मचारियोें को अब भी दिया जा रहा है चौथा वेेतनमान

सीहोर। तिलहन संघ की जिले के पचामा स्थित प्लांट की मशीनेें एवं स्क्रेब को सरकार ने साढ़े सात करोड़ रूपए में बेच दिया है। तिलहन संघ का पचामा प्लांट सीहोर जिले की शान हुआ करता था, लेकिन आज से करीब 17 वर्ष पहले सरकार ने इस प्लांट को बंद कर दिया था। तभी से यह प्लांट पूरी तरह बंद है। बताया जा रहा है कि पचामा प्लांट की मशीनें एवं स्क्रेब किसी मल्होत्रा ग्रुप ने लिया है। इनके द्वारा ही यहां तोड़-फोड़ करके स्क्रेब निकाला जा रहा है।
तिलहन संघ की प्रदेशभर में करोड़ों रूपए की प्रापर्टी है। तिलहन संघ को दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बंद कर दिया गया था। बंद करने के पीछे इसका घाटा में चलना बताया गया था। बंद करने कोे लेकर तिलहन संघ के कर्मचारियों ने विरोध भी जताया था, लेकिन तब सरकार ने विरोध को दरकिनार करते हुए तिलहन संघ के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू कर दी। अब भी तिलहन संघ की कई बेशकीमती प्रापर्टी हैं, लेकिन इनका लाभ यहां केे कर्मचारियोें को नहीं मिल रहा है। बताया जाता है कि यहां केे जो शेष कर्मचारी हैं वे अब भी चौथा वेतनमान मेें ही कार्य कर रहे हैैं, जबकि प्रदेश मेें अन्य कर्मचारियोें को सातवां वेतनमान मिल रहा है। सरकार द्वारा यहां केे कई बेेहतर कर्मचारी थेे, जिन्हें अन्य विभागोें में प्रतिनियुुक्ति पर भेज दिया, लेकिन जब वे सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें अन्य दूसरे विभागों में मिल रहे लाभ नहीं दिए गए। उन्हें चौथेे वेतनमान के अनुसार ही सेवानिवृत्ति के दौरान मिलने वाले लाभ दिए।
बिना अनुमति काट दिए पेड़-
पचामा प्लांट की मशीनें औैर स्क्रेब बेचने के लिए लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा ऑनलाइन टेंडर जारी किए गए थेे। टेंडर प्रक्रिया में कई ठेकेदारों ने दिलचस्पी दिखाई। इसके बाद मशीनें और स्क्रेब किसी मल्होत्रा ग्रुप द्वारा लिए गए हैं। अब इनके द्वारा ही यहां पर जेबीसी मशीन चलाकर स्क्रेब निकाला जा रहा है। इधर यहां पर कई पेड़ोें की कटाई भी कर दी गई है। इसके लिए न तोे पर्यावरण विभाग और न ही वन विभाग सेे इनकी अनुमति ली गई। बताया जाता है कि पचामा प्लांट परिसर में विभिन्न प्रजातियों के 20 हजार से ज्यादा पेड़ लगे हैं, जिनमें से 2200 पेड़ तात्कालीन पर्यावरण मंत्री इंद्रजीत पटेल और पूर्व कैबिनेट मंत्री भगवान सिंह यादव ने लगाए थे। उन्होंने आम, आंवला, कटहल, करौंदे और नींबू के हजारों पेड़ लगा थे, लेकिन अब इन पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री को लिखा पत्र-
इस संबंध में जिला पंचायत के सदस्य और वरिष्ठ समाजसेवी तुलसीराम पटेल ने कहा कि पचामा प्लांट क्षेत्र की पहचान है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह को पत्र लिखकर तत्काल इस धरोहर को बचाने और प्लांट एक बार फिर से शुरू कराए जाने की मांग की थी। उनका कहना है कि जमीन को बेचने से पहले शासन ने प्लांट की मशीनों सहित अन्य कलपुर्जों को डिस्मेंटल करने का ठेका एक निजी कंपनी को करोड़ों रूपए में दिया है। पचामा प्लांट के लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी जमीन को काफी कम दामों पर शासन को इसलिए बेची थी कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके, लेकिन लंबे समय से प्लांट बंद है। इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। वहीं अब प्लांट को खाली करने के लिए उसे डिस्मेंटल किया जा रहा है और जमीन को निजी कंपनियों को बेचने की तैयारी चल रही है।
17 साल पहले हुआ था प्लांट बंद-
सोया प्लांट के पूर्व कर्मचारी आरके दास ने बताया कि पचामा सोया प्लांट को बंद हुए करीब 17 साल हो चुके हैं। 2003-04 में जब यह प्लाट बंद हुआ। तब इसमें करीब 250 रेग्यूलर कर्मचारी थे। जिनमें से आधे पहले ही मर्ज किए जा चुके थे, बाकि कर्मचारियों को भी मर्ज करने की प्रक्रिया वर्षों से चल रही है। इस बीच कई कर्मचारी तो सेवानिवृत्त भी हो गए हैं।
इनका कहना है-
संपत्तियों को लेकर कोई भी टेंडर जिला स्तर से नहीं निकाया गया है। इसके टेंडर लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने ही जारी किए हैं। यह उन्हीं के अधीन है। इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन अब जानकारी मिली है तो निरीक्षण करवाएंगे।
– गुंचा सनावर, एडीएम, सीहोर
पचामा सोया प्लांट की मशीनें और स्क्रेब बेचने के लिए ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया की गई थी। इसकी प्रक्रिया लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा की गई है। संपत्ति बेचकर जो राशि आई है उसे सरकारी खजाने में जमा कराया जाएगा।
– अभय खरे, ज्वाइंट रजिस्ट्रार, सहकारिता

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