मध्य प्रदेश

इंदौर में फिलहाल शुरू नहीं हो सकेगी कोरोना के वैरिएंट की जांच

इंदौर ।    कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे के बीच चिंता की बात है कि इंदौर में फिलहाल कोरोना के वैरिएंट का पता लगाने वाली जांच नहीं हो सकेगी। जांच के लिए सैंपल भोपाल ही भेजने होंगे। दरअसल नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने एमजीएम मेडिकल कालेज को वैरिएंट का पता लगाने वाली जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन तो उपलब्ध करवा दी लेकिन मशीन के छोटे-मोटे पार्ट और जांच के लिए जरूरी केमिकल दिए ही नहीं। अब एनसीडीसी इन्हें उपलब्ध करवा भी दे तो भी इंदौर में वैरिएंट की जांच फिलहाल शुरू नहीं हो सकेगी क्योंकि बगैर रजिस्ट्रेशन यह संभव नहीं है। मशीन शुरू होने के बाद क्रास चेकिंग की जाएगी। यानी सैंपलों को इंदौर में जांचने के बाद दिल्ली भेजा जाएगा। दोनों जगह की जांच रिपोर्ट का मिलान किया जाएगा और पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही इंदौर में नियमित जांच शुरू होगी।

 कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे के बीच चिंता की बात

इंदौर में कोरोना के अब तक दो लाख 12 हजार से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे के बाद हाल ही में निर्णय लिया गया कि जिन भी मरीजों में कोरोना की पुष्टि होगी उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग अनिवार्य रूप से की जाएगी। इंदौर में फिलहाल जीनोम सीक्वेंसिंग जांच की व्यवस्था ही नहीं है। यही वजह है कि यहां से सैंपल भोपाल एम्स भेजे जा रहे हैं। एनसीडीसी ने 28 नवंबर को इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज को करीब 60 लाख रुपये की लागत वाली जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन दी थी। एक माह बाद भी यह मशीन शुरू नहीं हो सकी। सैंपल अब भी भोपाल भेजने पड़ रहे हैं।

यह होती है जीनोम सीक्वेंसिंग

मानव कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है। इसे डीएनए और आरएनए कहा जाता है। इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है। एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम मैपिंग या जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है। इससे जीनोम में आए बदलाव की जानकारी मिलती है। कोरोना वायरस की जीनोम मैपिंग होती है तो इस बात की जानकारी मिल जाती है कि इस वायरस में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं। यह पुराने वायरस से कितना अलग और कितना घातक है।

भोपाल भेज रहे हैं सैंपल

मशीन तो हमें मिल गई लेकिन मशीन के कुछ पार्ट और केमिकल अब तक नहीं मिले हैं। इनके मिलने के बाद एनसीडीसी के इंजीनियर मशीन इंस्टाल करने आएंगे। इसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी।

– डा. संजय दीक्षित, डीन एमजीएम मेडिकल कालेज

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