ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, कैलाश पर्वत हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों की आस्था का केंद्र
भोपाल । केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि सनातन और बौद्ध धर्म में कई समानताएं हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में मंडला एवं अन्य पद्धतियां नालंदा विश्वविद्यालय में तैयार की गईं। कैलाश पर्वत हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों की आस्था का केंद्र है। सिंधिया भोपाल में चल रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन के समापन सत्र में रविवार को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सांस्कृतिक चेतना की नई लहर शुरू करने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बौद्ध सर्किट को केंद्र में रखकर हवाई मार्ग तैयार किए हैं। शुक्रवार से शुरू हुए इस आयोजन का शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया था। इसकी थीम ‘नए युग में मानववाद का सिद्धांत' थी। अंतिम दिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर रामनाथ झा ने कहा कि प्रकृति का मूल एक है जो पुरुष और स्त्री के रूप में उद्धाटित होता है। महर्षि वेदव्यास, वाल्मीकि, जाबाली और ऐतरेय ब्राह्मण लिखने वाले महिदर ऋषि ब्राह्मण नहीं थे और वेदों में 27 ऋषिकाओं का जिक्र आता है। ऐसे में सनातन धर्म का ब्राह्मण आधारित वर्ण व्यवस्था से जोड़ना कल्पना है। कोलकाता विश्वविद्यालय के पाली के प्रोफेसर शाश्वती ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर पर बौद्ध धर्म का बड़ा प्रभाव था। यहीं के दिलीप मोहंता ने कहा कि पूरा विश्व एक घोंसला है। शांति एवं संपन्नता एक-दूसरे से जुड़े हैं। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
थाईलैंड में भी सांची के समान स्तूप
समापन सत्र में थाईलैंड के सिल्पाकोरोना विश्वविद्यालय के प्रो. चिरापत प्रपद्यविद्या ने कहा कि बौद्ध एकात्म का सिद्धांत है। विद्या रूपी अनंत सत्य को जानने का सिद्धांत बुद्ध ने बताया। उन्होंने कहा कि थाईलैंड में भी सांची के समान स्तूप है, जिसका पुनुरुद्धार किया जा रहा है। नालंदा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. गोदावरीश मिश्र ने कहा कि अंग्रेजों ने मनुस्मृति का अपनी सुविधा के अनुसार अनुवाद किया। इसका उपयोग हिंदुओं को बांटने में किया गया। उदाहरण के तौर पर आर्य और द्रविड़ का भेद नहीं है, बल्कि गौड़ा और द्रविड़ का भेद है, जो खान-पान में अंतर पर आधारित है। सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने बताया कि 150 शोध पत्र पढ़े गए। सभी प्रतिभागियों ने शनिवार दोपहर बाद सांची स्तूप का भ्रमण किया। सम्मेलन में 16 देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इंडोनेशिया, भूटान और श्रीलंका के मंत्री और म्यामांर और मंगोलिया के राजदूत भी शामिल हुए।