भोपालमध्य प्रदेश

नर्मदा सिंचाई परियोजनाओं से अगले तीन वर्ष में बढ़ेगी छह लाख हेक्टेयर में सिंचाई

भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में नर्मदा जल के अधिकतम उपयोग के लिए पूर्ण योजनाओं का पूरा लाभ लिया जाए। निर्माणाधीन योजनाओं के कार्य की गति बढ़ाई जाए। विभाग के अधिकारी परियोजना क्षेत्रों का नियमित भ्रमण कर कार्यों की जानकारी प्राप्त करें। संचालित कार्यों को समय-सीमा में पूरा करने का ध्येय सामने रखकर कार्य सम्पन्न किया जाए। यदि किसी परियोजना के क्रियान्वयन में देर होती है और उसका सार्थक कारण नहीं है तो संबंधित एजेंसी और अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए।

मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में नर्मदा घाटी विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2020-21 में पाँच परियोजनाओं नर्मदा-मालवा गंभीर, उज्जैनी-देवास-उज्जैन पाइप लाइन योजना, अपर बेदा दाईं तट नहर, हरसूद माईक्रो उद्ववहन सिंचाई परियोजना और ओंकारेश्वर नहर चरण-4 के कार्य पूरें कर लिए गए हैं। अगले तीन साल में छह लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित करने का लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त बजट नर्मदा घाटी विकास विभाग को प्राप्त होगा। इससे समयावधि में हम अपने कार्य पूर्ण कर सकेंगे। यह सुनिश्चित किया जाए कि गुणवत्ता के साथ सभी प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन समय पर हो। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में जो सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं, उनका पूरा उपयोग हो और किसानों में उसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायें जिससे वे जल का भरपूर उपयोग कर सकें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मैदानी दौरों की जानकारी से मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत कराया जाए।

चालू वर्ष में पूर्ण होंगी 11 परियोजनाएँ
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2022 में जो 11 परियोजनाएँ पूर्ण होंगी, इनसे खण्डवा, इंदौर, खरगोन, कटनी, सीहोर, बड़वानी और जबलपुर में एक लाख 62 हजार 195 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव होगी। ये कार्य करीब तीन हजार करोड़ रूपए की लागत से किए जा रहे हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में सिंचाई शुल्क की वसूली के लिए मेप आईटी के साथ मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है।

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2020-21 में जो 6 कार्य पूर्णता की स्थिति में हैं, उनसे खण्डवा, अलीराजपुर और खरगोन जिले में करीब एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। दीर्घकालीन लक्ष्य में वर्ष 2023-24 में 17 परियोजनाओं के कार्य पूरे करने का लक्ष्य है। इनसे 11 लाख 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव होगी। बैठक में जानकारी दी गई कि सीहोर एवं देवास जिले में क्रियान्वित की जा रही छीपानेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना का तीन चौथाई कार्य सम्पन्न हो गया है। इस योजना से दोनों जिले के 69 ग्राम लाभान्वित होंगे। इसी तरह डोबी-केनाल फीडर सिंचाई योजना से सिंचाई से वंचित 19 ग्रामों में 5 हजार 661 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई का लाभ मिलेगा। योजना में जल उद्वहन कर बारना परियोजना की दाईं तट नहर में प्रवाहित किया जाएगा।

नर्मदा नदी पर बन रहे हैं नए घाट
बैठक में बताया गया कि सीहोर जिले में नर्मदा नदी पर छीपानेर, आंवली, नीलकंठ, जैत और नरसिंहपुर जिले के नीलकुंड में घाट निर्मित किए जा रहे हैं। इन सभी घाटों का कार्य शीघ्र पूर्ण हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान नर्मदा यात्रा के दौरान सभी स्थानों को देख चुके हैं। नर्मदा नदी के किनारे स्थित सुरम्य स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। घाटों के सौन्दर्यीकरण के लिए एजेंसियां और विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं।

प्रजेंटेशन
अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास आईसीपी केशरी ने बताया कि नर्मदा के पानी का पूरा उपयोग करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान के निर्देशों के अनुरूप इस दिशा में निरंतर कार्य हो रहे हैं। मध्यप्रदेश अपने हिस्से के जल का पूरा उपयोग करेगा। विभाग द्वारा करीब 25 से 30 हजार करोड़ लागत की ग्यारह परियोजनाएँ अगले दो माह में स्वीकृत की जाएंगी। पिछले माह करीब 9 हजार करोड़ के कार्य स्वीकृत हुए हैं। वर्ष 2022 में कुल 11 कार्य पूरे किए जाएंगे। वर्ष 2023-24 में 17 कार्य पूरे किए जाएंगे। इस वर्ष मार्च माह तक 6 बड़ी परियोजनाओं के कार्य पूरे किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री चौहान के प्रमुख निर्देश

  •     निर्मित सिंचाई क्षमता का पूरा उपयोग हो।
  •     कोई भी सिंचाई योजना असफल न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
  •     सभी कार्य गुणवत्ता से परिपूर्ण हों।
  •     नर्मदा घाटी विकास विभाग के अभियंता और अधिकारी नियमित दौरा करें।
  •     परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब‍न हो।
  •     योजनाओं के क्रियान्वयन में जन-सहयोग भी प्राप्त करें।
  •     जल उपभोक्ता समितियों के सदस्यों और कृषकों का सहयोग प्राप्त करें।

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