भोपालमध्य प्रदेश

अब आजीविका मिशन से जुड़कर गतिविधियों को बढ़ाएंगे तेजस्विनी समूह: मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में तेजस्विनी कार्यक्रम में कार्यरत समूह अब आजीविका मिशन में कार्य करेंगे। महिला सशक्तिकरण कार्यों को नई गति प्रदान की जाएगी।  तेजस्विनी समूह की गतिविधियों को तेज करने में आजीविका मिशन पूरा सहयोग करेगा। इन समूहों को अधिक सशक्त बनाकर सदस्य बहनों की आय वृद्धि, आत्म-निर्भरता और आर्थिक संबल के लाभ भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि तेजस्विनी के समूहों की पारंपरिक पहचान को कायम रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम तेजस्विनी के क्रियान्वयन की गतिविधियों के संबंध में बैठक संपन्न हुई। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल, अपर मुख्य सचिव महिला एवं बाल विकास अशोक शाह, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव और मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एल.एम. बेलवाल भी उपस्थित थे।

स्व-सहायता समूहों का होगा मिशन में विलय
 उल्लेखनीय है कि गत 16 दिसंबर को मंत्रि-परिषद् ने तेजस्विनी कार्यक्रम में गठित स्व-सहायता समूहों के कार्य-क्षेत्र एवं स्वरूप को यथावत रखते हुए उनका राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में  विलय किए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश में इस समय ग्राम स्तर के 16 हजार 749 महिला स्व-सहायता समूह कार्यरत हैं। ग्राम स्तर पर 2 हजार 624 समितियाँ और विकास खण्ड स्तर पर 60 महिला महासंघ कार्य कर रहे हैं।

प्रमुख गतिविधियाँ
देश में करीब 80 लाख महिला सदस्यों में से सवा दो लाख सदस्य मध्यप्रदेश की हैं। यह प्रतिशत राष्ट्रीय भागीदारी में 2.7 है। प्रदेश के 6 जिलों में क्रियान्वित तेजस्विनी कार्यक्रम में तीन जिले सागर संभाग और तीन जिले जबलपुर संभाग के शामिल हैं। वर्तमान में तेजस्विनी समूह 51 करोड़ 24 लाख रूपये की बचत कर चुके हैं। छह जिलों मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, पन्ना, टीकमगढ़ और छतरपुर में कृषि कार्य के अलावा डेयरी, सब्जी उत्पादन, बकरी पालन, किचन गार्डन, उद्यानिकी, पोल्ट्री, टेलरिंग जैसी गतिविधियों से 2 लाख 15 हजार महिलाएँ संलग्न हैं। महिला महासंघ कोदो प्र-संस्करण, टमाटर केचअप, गुड़ चिक्की, मिल्क चिलिंग सेंटर, पशु संवर्धन केंद्र, पावरलूम इकाई, पैकेजिंग इकाई और वर्मी कम्पोस्ट की गतिविधियों में संलग्न हैं। विपणन गतिविधियों में अन्दाई और भारती ब्रांड का पंजीयन कराया गया है। इसके लिए पोर्टल भी विकसित किया गया है। तेजस्विनी कार्यक्रम में सदस्यों की आय में काफी वृद्धि हुई है। एक सदस्य की औसत मासिक आय 2,176 रूपये से बढ़कर 6,190 रूपये हो गई है। योजना आयोग द्वारा भी इसका अनुमोदन किया गया है। वर्तमान में ग्राम सभा में भी महिलाओं की भागीदारी 62 प्रतिशत है। डिंडोरी की कोदो कुटकी न्यूट्री बेकरी इकाई, गोंडी फेब्रिक और हैंडलूम इकाई, मंडला में ऑर्गेनिक मसाला इकाई ने विशेष पहचान बनाई है। इसी तरह गणवेश सिलाई और आपूर्ति, जनता बीड़ी उत्पादन, गुड़ पट्टी और अलसी प्रोसेसिंग एवं उत्पादन इकाइयाँ संचालित की जा रही हैं। सागर संभाग के तीन जिलों छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना में मिल्क कलेक्शन सेंटर कार्य कर रहे हैं।

नेतृत्व के लिए भी समर्थ बनी हैं समूह की महिलाएँ
 प्रदेश में तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूहों की 4 हजार 321 सदस्य पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनीं थीं। इनमें से 1929 सदस्य सफलतापूर्वक पंचायत राज संस्थान में सदस्य बन चुकी हैं। प्रदेश में तेजस्विनी कार्यक्रम से जुड़ी 194 महिलाएँ पंचायतों का नेतृत्व भी  कर रही हैं। जनजातीय समुदाय से महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी पंचायत पदाधिकारी महिलाएँ परिसंघों की आजीविका और आय के स्रोत विकसित करने की उपलब्धि भी हासिल कर चुकी हैं।

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