भोपालमध्य प्रदेश

MP के आगामी बजट के निर्धारण में आधार बनेंगे अर्थशास्त्रियों के शोध निष्कर्ष

भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के आगामी बजट के निर्धारण में आर्थिक क्षेत्र के विद्वानों और प्रमुख अर्थशास्त्रियों के शोध निष्कर्षों को आधार बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के संकल्प की पूर्ति में मध्यप्रदेश अधिकाधिक योगदान देगा। मुख्यमंत्री चौहान आज प्रशासन अकादमी में इंडियन इकोनामी एसोसिएशन के  राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन  इकोनामी ऑफ मध्यप्रदेश सत्र को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संगोष्ठी के प्रतिभागियों से प्राप्त सुझावों का मध्यप्रदेश सरकार सार्थक  उपयोग करेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने शनिवार को अधिवेशन का शुभारंभ किया था। आज वे पुन: मध्यप्रदेश पर केन्द्रित सत्र में विद्वानों के विचार सुनने पहुँचे। सत्र की अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के वाइस चेयरमेन प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने की। संगोष्ठी में अर्थशास्त्रियों ने मध्यप्रदेश में गत डेढ़ दशक में अर्जित उपलब्धियों का बखान भी किया और भविष्य के लिए आवश्यक प्राथमिकताओं के संबंध में सुझाव भी दिए।

अर्थशास्त्री हमारे लिए नवरत्न
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सभी व्यक्ति विभिन्न विषय के विशेषज्ञ नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं विभिन्न विषय पर फीडबेक प्राप्त करते हैं। प्राचीन काल में दरबारों में नवरत्न हुआ करते थे। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में विषय-विशेषज्ञ सरकार के लिए रत्नों से कम नहीं हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संगोष्ठी में पधारे 140 अर्थशास्त्री मध्यप्रदेश सरकार के लिए नवरत्न के समान हैं। इनकी प्रतिभा का उपयोग मध्यप्रदेश के लिए किया जाएगा। ऐसी ही संगोष्ठी आगामी वर्ष पुनः होगी।

विभागवार बैठकों में होगी बजट की तैयारी
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आगामी 3 जनवरी से विभागवार बैठकें प्रारंभ की जा रही हैं, जिसमें विभागों की योजनाओं और राशि के प्रावधान पर विस्तार से विचार-विमर्श होगा। प्रशासनिक अधिकारी भी बजट तैयार करने के कार्यों में सक्रिय रहते हैं, लेकिन अर्थशास्त्रियों के सुझावों को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश के बजट का निर्धारण होगा। जिन सुझावों पर तत्काल अमल संभव नहीं, उन पर दीर्घकालिक योजना में अमल किया जाएगा।

सबसे अच्छा प्रांत हो मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने जनता के कल्याण की प्राथमिकताओं का निर्धारण कर लिया है। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप गतवर्ष ही बना लिया गया था। मध्यप्रदेश को सिर्फ भारत का ही नहीं दुनिया का सबसे अच्छा प्रांत बनाने का संकल्प है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि एक समय था, जब मध्यप्रदेश के नागरिक सिंचाई, बिजली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं  से वंचित थे। आज हम कृषि उत्पादन बढ़ाने के बाद कृषि विविधीकरण की ओर कदम बढ़ा पाए हैं। सीएम राइज स्कूल के माध्यम से विद्यार्थियों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है। लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं से लिंगानुपात 914 से बढ़कर 956 तक पहुँच गया है। स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हो रहा है।

अर्थशास्त्रियों ने की मध्यप्रदेश सरकार की नीतियों की प्रशंसा
मुख्यमंत्री चौहान ने "इकॉनामी ऑफ मध्यप्रदेश" सत्र में अनेक अर्थशास्त्रियों के विचारों को सुना। आज के सत्र में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के वाइस चांसलर प्रो. एस.के. राव ने कहा कि मध्यप्रदेश गेहूँ और चना के बाद दालों और मिलेट के उत्पादन और निर्यात में भी विशेष पहचान बना रहा है। स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स डीएवीवी इंदौर के सेवानिवृत्त प्रमुख प्रो. गणेश कावड़िया ने कहा मध्यप्रदेश तेजी से उभरता राज्य है, जो राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगा। आने वाले चार वर्ष में मध्यप्रदेश का शेयर 2.25 ट्रिलियन डालर होना संभव है। रिसर्च एण्ड इंफार्मेशन सिस्टम नई दिल्ली के फेलो प्रो. अमिताभ कुंडू ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने इस संगोष्ठी को महत्व देते हुए दूसरे दिन भी भागीदारी की है। मध्यप्रदेश ने बिहार और उत्तरप्रदेश राज्यों से ही नहीं अन्य कई राज्यों से भी प्रति व्यक्ति आय के मामले में आगे बढ़कर दिखा दिया है। मुख्यमंत्री चौहान ने अपने प्रयासों से मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाला है।

एनआईपीएफपी नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश ने बेहतर राजस्व प्राप्तियों और जीडीपी वृद्धि की उपलब्धि हासिल की है। आई.आई.एम. बैंगलुरू की प्रो. शमिका ने कहा कि मध्यप्रदेश में कोविड-19 में अधिकतम वैक्सीनेशन का कार्य संचालन अद्भुत है। चंडीगढ़ के सेंटर फॉर रिसर्च एण्ड रूरल एण्ड इंडिस्ट्रीयल डेव्हलपमेंट के प्रो. सतीश वर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश ने एफपीओ के गठन में श्रेष्ठ कार्य किया है। वेल्यू एडिशन और मार्केट लिंक के प्रयासों से संगठनों को निरंतर उद्यमिता का लाभ दिलवाने का कार्य सराहनीय है। स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स डीएवीवी इंदौर के प्रो. कन्हैया आहूजा ने कहा कि मध्यप्रदेश की कृषि दर तेजी से बढ़ी है, जो एक क्रांति के समान है। गत पंद्रह वर्ष में बुनियादी क्षेत्रों के विकास के अलावा कृषि उपार्जन की वृद्धि मध्यप्रदेश की पहचान बनी है।

सागर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के विद्वान प्रो. केवल जैन ने कहा कि मध्यप्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को दिया जा रहा बढ़ावा अच्छे परिणाम लाएगा। विश्व बाजार व्यवस्था के अनुकूल स्थानीय उत्पादों को मुकाबले के लिए प्रस्तुत करना और घरेलू उद्योगों को समर्थन की नीतियाँ प्रशंसनीय हैं। मनोज जैन और प्रो.रेखा आचार्य ने भी सत्र को संबोधित किया। सत्र समापन पर मुख्यमंत्री चौहान को स्मृति-चिन्ह प्रदान किया गया।  

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