मध्य प्रदेश

 बाग और मांडू की डायानासोर की धरती जियोलाजिकल हेरिटेज बनेगी

धार । धार जिले के लिए एक अच्छी खबर यह है कि देश के जाने-माने वैज्ञानिक धार जिले के मांडू और बाग में जियोलाजिकल हेरिटेज को लेकर विशेष रूप से प्रक्रिया करेगे। मध्य प्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा इसके लिए पहल की गई है। इस क्षेत्र में जहां डायनासोर की हलचल रहा करती थी उस हलचल को अब अन्य लोग भी जान सकेंगे। इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
इस संबंध में सोसायटी आफ अर्थ साइंस के सचिव डा. संतोष त्रिपाठी ने बताया कि देशभर के प्रमुख साइंटिस्ट मध्यप्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड यानी वन विभाग के माध्यम से 16 नवंबर को हम अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे। जो 19 नवंबर तक जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में अब कल्चरल हेरिटेज के साथ-साथ जियोलॉजिकल हेरिटेज काफी महत्व माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि आप लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि 4 गीगा ईयर पहले क्या हल चल रही होगी। उन्होंने बताया कि 6 करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी फटा है। उसमें डायनासोर जैसी प्रजाति लुप्त हुई है। इस तरह की सारे तथ्यों को हम 16 नवंबर को लोगों के सामने प्रस्तुत करेंगे। इसमें कुछ प्रमुख वैज्ञानिक, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व अन्य लोग शामिल होने जा रहे हैं। मांडू के डायनासोर पार्क में यह आयोजन होने जा रहा है। त्रिपाठी ने बताया कि हम इस बात पर विशेष फोकस कर रहे हैं कि किसी भी तरह से लोगों को इस बात की जानकारी हो कि डायनासोर आखिर में क्यों लुप्त हो गए। और क्या स्थितियां बनी। उसके बाद क्या हालात बने।
डा त्रिपाठी ने बताया कि यूनेस्को आजकल जियोलॉजिकल सिग्निफिकेंट धरोहर के लिए भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यूनेस्को विश्व धरोहर की घोषणा करता है। वैसे ही इस दिशा में भी कदम उठाया जा रहा है। देश में अभी तक एक भी जूलॉजिकल सिग्निफिकेंट नही है। इस तरह की धरोहर नहीं है। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक सम्मेलन स्पैन में हुआ था। इसमें विश्व की जियोलॉजिकल धरोहर के बारे में चर्चा की गई। अब जबकि मेघालय के मलूम केव जो चेरापूंजी के पास है, उसके लिए प्रयास किया जा रहा है। वहां की विशेषताओं को बताया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस बार हम अगले दो-तीन दिन में धार जिले के मांडू और बाग के क्षेत्र में यह काम करने जा रहे हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा मध्यप्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा इसके लिए हमें जिम्मेदारी दी गई है। हम लगातार दो-तीन दिन अध्ययन करेंगे। उसके बाद इस बाग और मांडू वाले क्षेत्र में जियोलॉजिकल हेरिटेज के तहत यहां पर पर्यटन की संभावना पर विशेष रूप से फोकस करेंगे। उन्होंने बताया कि जिस तरह से विश्व धरोहर होती है। जियोलॉजिकल धरोहर के तहत हम यहां पर बाग गुफा व आसपास क्षेत्र का अवलोकन करेंगे। उसके लिए भी एक विशेष साइट तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां पर डायनासोर की हलचल रही है। इसलिए डायनासोर के युग के बारे में विशेष रूप से खोज करेंगे और उसकी जानकारी सबके सामने आएगी।

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