भोपालमध्य प्रदेश

प्रदेश में ओलावृष्टि का सर्वे एक सप्ताह बाद पूरा हो पाएगा

भोपाल
प्रदेश के किसानों को ओलावृष्टि से हुए नुकसान में राहत पाने के लिए अभी कम से कम एक सप्ताह का समय और लगेगा। इसकी वजह सर्वे में विलंब तो है ही, साथ में पंचायत स्तर पर किसानों को हुए नुकसान पर दावे-आपत्ति में विलंब भी एक कारण है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने कलेक्टरों को सर्वे में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने यह भी तय किया है कि जिन जिलों में सर्वे का कार्य पूरा हो जाए, वहां राहत बांटने का काम प्रारंभ कर दिया जाए। गौरतलब है कि भू राजस्व संहिता (आरबीसी) में किसानों को राहत बांटने से पहले पंचायत स्तर पर किसानों की सूची चस्पा करना अनिवार्य है। सूची पर लोगों से दावे-आपत्ति बुलाना भी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है। इसके निराकरण के बाद ही राहत बांटने का आदेश जारी किया जाता है।

प्रदेश में छह से 10 जनवरी के बीच कई जिलों में ओलावृष्टि से रबी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था। ओलावृष्टि के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि किसानों की फसल को जो नुकसान हुआ है, उसका तत्काल सर्वे कर राहत राशि दी जाए।

इसके लिए एक सप्ताह का समय तय किया गया था। लेकिन अब तक सभी जिलों में सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया है। फिलहाल सरकार के पास 25 जिलों से प्रारंभिक रिपोर्ट आई है। इसमें फसल नुकसान का क्षेत्र (रकबा) डेढ़ लाख हेक्टेयर को पार कर गया है। 70 तहसीलों के एक हजार 157 गांवों के एक लाख 67 हजार 201 किसानों की फसल को क्षति हुई है।

पांच सौ करोड़ की देना होगी राहत राशि

किसानों को राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रविधान अनुसार आर्थिक सहायता देने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत पड़ेगी। यह राशि सभी जिलों को आपदा राहत फंड से ग्लोबल हेड में उपलब्ध कराई जाएगी।

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