भोपालमध्य प्रदेश

इस बार देसी पिचकारियों से उड़ेगा रंग

भोपाल । महाशिवरात्रि बीतने के साथ ही होली के बाजार का रंग जमने लगा है। रंगों और पिचकारियों के थोक बाजार में पर्व की बिक्री का दौर तेजी पकड़ चुका है। बाजार को तीन वर्षों बाद इस होली पर रिकार्डतोड़ बिक्री की उम्मीद है। 2020 और 2021 की होली कोरोना के साए में मनी थी। 2022 में बाजार कमजोर रहा क्योंकि कोविड की दूसरी लहर में हुई मौतों के चलते समाज में शोक की होली का प्रभाव ज्यादा रहा। ऐसे में इस वर्ष त्योहार के उत्साह के साथ बाजार में जोरदार बिक्री की उम्मीद की जा रही है। थोक बाजार में अभी से स्टाक की कमी महसूस होने लगी है। भोपाल में रंग-पिचकारी का थोक बाजार करीब पांच करोड़ रुपये का आंका जाता है। इस बार बाजार में करीब सात करोड़ रुपये की बिक्री की उम्मीद की जा रही है। मप्र के तमाम कस्बों, शहरों, गांवों के साथ महाराष्ट्र के भी कुछ हिस्से में भोपाल से रंग-पिचकारियों की आपूर्ति होती है। भोपाल के थोक बाजार में रंगों की आपूर्ति मथुरा, हाथरस और दिल्ली के साथ इंदौर से भी होती है। पिचकारियां प्रमुख रूप से दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से आती हैं। इस साल पिचकारियों का बाजार पूरी तरह चीन की छाया से मुक्त नजर आ रहा है। थोक कारोबारियों के अनुसार चीनी खिलौने का आयात पर सरकार की सख्ती के कारण पिचकारियों का आयात नहीं हुआ है। देश के खिलौना इंडस्ट्रीज ही पिचकारियों का निर्माण कर देशभर के बाजारों में आपूर्ति कर रहे हैं। हालांकि इस वर्ष थोक बाजार में कीमतों में 35 से 40 प्रतिशत की तेजी है। 15 दिन पहले ही दिल्ली और मुंबई के पिचकारी निर्माताओं ने माल कम होने की बात कहकर पुरानी बुकिंग निरस्त कर दी थी। अगले आर्डर के लिए वे 20 प्रतिशत दाम बढ़ाकर मांग रहे थे। फैक्ट्रियों की ओर से मांग की कमी बताने पर थोक बाजार में हड़बड़ाट है और पिचकारियों की किल्लत देखी जा रही है।

हर्बल गुलाल और एक्सटिंग्विशर खींच रहा ध्यान
थोक बाजार में रंग के पैकेट 3 रुपये से 40 रुपये प्रति सौ ग्राम की दर पर बिक रहे हैं। पिचकारियां 6 रुपये से 1000 रुपये तक है। सबसे महंगी पिचकारी फायर एक्सटिंग्विशर वाली है जो थोक में हजार रुपये में बेची जा रही है। लोहे के फायर एक्सटिंग्विशर की हूबहू प्रतिकृति इस पिचकारी का वजन ही लगभग तीन किलो है। आग बुझाने वाले ड्राइ आइस की बजाय इस एक्सटिंग्विशर में से सूखे गुलाल की महीन फुहारें उड़ेंगी। साथ ही हाथरस से आए हर्बल गुलालों की खासी मांग देखी जा रही है। खाने के रंग और कार्न स्टार्च यानी आरारोट से बने गुलाल चंदन, चमेली, गुलाब और केवड़ा जैसी खुशबुओं में उपलब्ध हैं। पानी के साथ लगाए जाने वाले गुलाबी रंग में 1000 टका रूह भी है जो मलने के बाद सुनहरा हो जाता है।

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