ग्वालियरमध्य प्रदेश

देश के आधे हिस्से में लहराए ग्वालियर में बने तिरंगे

ग्वालियर ।   गणतंत्र दिवस पर देश के आधे हिस्से में सरकारी भवन पर ग्वालियर में बना तिरंगा फहराए गए है। यह सुनकर थोडा आश्चर्य जरुर हुआ होगा लेकिन यह हकीकत है। खास बात यह है कि ध्वज में प्रयुक्त होने वाले धागे से लेकर लकड़ी व रस्सी तक स्वदेशी है। गणतंत्र दिवस के लिए जीवाजी गंज स्थित मध्य भारत खादी संघ में 8 हजार तिरंगा तैयार किए गए। जिनकी कीमत करीब 52 लाख रुपये है। यह तिरंग देश के 15 प्रदेशों में पहुंचाए गए। तिरंगा कई मानकों पर तैयार होता है। तिरंगा का ध्वज तैयार करने के लिए एक लाट के कपड़े की रंगाई,छपाई, कटिंग और टेस्टिंग में 5 से 6 दिन का वक्त लगता है। इस बार 2022-23 में 22 हजार ध्वज सवा करोड़ रुपये के तैयार किए गए। जिनमें से स्वतंत्रता दिवस पर 72 लाख की बिक्री हुई थी और गणतंत्र दिवस पर 52 लाख की बिक्री हुई।

इन राज्यों में भेजे गए ध्वज

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, हिमाचल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र,उड़ीसा, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात,जम्मू कश्मीर सहित कुल 15 प्रदेशों में तिरंगा झंडा भेजा गया। इन प्रदेशों के सरकारी भवनों में ग्वालियर का तिरंगा फहराया गया। कलेक्ट्रेट, मंत्रालय, विधानसभा, सहित सभी सरकारी भवन पर खादी का तिरंगा ही फराया जाता है।

बंगाल की रस्सी दिल्ली का धागा से सिलाई का धागा व रस्सी आती

तिरंगा का ध्वज निर्धारित साइज का बनाया जाता है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है शीशम या सागौन की लकड़ी निर्धारित मानक के अनुसार होने पर ही ध्वज फहराया जाता है। इसके लिए इस बार रस्सी कोरिया के स्थान पर बंगाल से मंगवाई गई और धागा दिल्ली में तैयार कराया गया। सिलाई भी निर्धारित मानक के अनुसार की जाती है।

ध्वज की साइजफीट में प्रतिध्वज कीमत रुपये में

2बाय3 – 750

3बाय4.5 – 1500

4बाय6 – 2000

6बाय9 – 6000

9बाय12 – 9000

1बाय1.5 – 180

कार फ्लेग – 180

टेबल फ्लेग – 310,360

खादी ग्राम उद्योग की स्थापना चरखा संघ के रुप में हुई थी

जीवाजीगंज में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1930 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला। देश में तिरंगा झंडा मुंबई और हुबली में बनाया जता था। लेकिन 2016 में ग्वालियर के खादी संघ को बीआईएस से रितंगा बनाने की अनुमति मिल गई। जिसके अनुसार 9 मानकों पर लैबोरेटरी टेस्ट के बाद झंडे सप्लाई किए जाते हैं। प्रतिवर्ष 50 से 60 लाख के झंडे तैयार होते हैं लेकिन इस बार 52 लाख के झंडे तैयार किए गए ।

9 मानकों पर छह दिन में होता झंडा तैयार

भारत खादी संघ में भरतीय मानक ब्यूरो प्रमाणित तिरंगा तैयार किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए मानकों का पालन करना अति आवश्यक है। जिसमें कपड़े की क्वालिटी के लिए सिहोर से कपास लेकर सूत तैयार किया जाता है, फिर सूत से कपड़ा तैयार करते हैं,जिसकी गुणवक्ता की जांच की जाती है। इसके बाद कपड़े की रंगाई के लिए तीन रंगों का अलग अलग ड्राइंग किया जाता है जिसकी टेस्टिंग की जाती है। इसके बाद उस पर अशोक चक्र निर्धारित साइज का तैयार किया जाता है। इसके बाद ध्वज की सिलाई जिस धागे से की जाती है उस धागे का टांका निर्धारित दूरी पर लगाया जाता है। 9 मानकों पर ध्वज तैयार किया जाता है जिसमें कपड़े का वजन,गुणवत्ता, रंग,कैमिकल, सिलाई आदि शामिल है। जिस लकड़ी पर झंडा फहराया जाता है उसका साइज व बजन भी निर्धारित होता है। इस पूरे क्रम में करीब 6 दिन का वक्त लगता है, जिसमें एक झंडे की सिलाई में 30 मिनट और पूरी तरह से तैयार करने में 5 घंटे का वक्त लगता है।

इस बार तकरीबन 52 लाख रुपये के ध्वज की बिक्री हुई है। यदि पूरे साल की बात करें तो करीब सवा करोड़ रुपये की बिक्री की गई जो पिछले सालों के अपेक्षा काफी अधिक रही। खास बात यह है कि इस बार ध्वज में धागे से लेकर रस्सी तक सबकुछ स्वदेशी उपयोग किया गया।

– वासुदेव शर्मा, अध्यक्षक मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button