आला अधिकारियों की मिलीभगत से बीसीएलएल को लगाया 80 लाख का चूना

भोपाल
शहर के 100 बस स्टॉप पर पब्लिक इंफॉरमेशन सिस्टम और 48 लो फ्लोर बसों में जीपीएस डिस्प्ले सिस्टम लगाने का ठेका जिस पुणे की आर्य ओमनीटॉक वायरलैस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मिला था। उस कंपनी ने भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) को 80 लाख का चूना लगा दिया है। यह चूना बीसीएलएल के एडमिशन मैनेजर रोहित यादव और मैनेजर जिशान खान के कारण लगा है।
बीसीएलएल के पूर्व सीईओ आदित्य सिंह और अपर आयुक्त पवन कुमार सिंह का कहना है कि उनसे कोर्ट से आने वाले नोटिस की जानकारी छुपाई गई। इससे साबित होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत के कारण बीसीएलएल को इतना बड़ा नुकसान हुआ है। एक-दो अफसर मिलकर इतना बड़ा कारनामा नहीं कर सकते। इस कारण प्राइवेट कंपनी के हक में जिला न्यायालय का फैसला हुआ। दरअसल यह मामला प्राइवेट कंपनी के बिल पास नहीं होने के कारण जिला न्यायालय तक पहुंचा, जिसकी बीसीएलएल की तरफ से कोई पैरवी नहीं की गई।
अपने आपको बचा रहे अफसर
बीसीएलएल के पूर्व सीईओ और अपर आयुक्त इस मामले से अपने आपको बचाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपनी नोटशीट में तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि पिछले कई साल से चल रहे इस विवाद में केवल 24 अक्टूबर 2019 को प्रकरण की पहली बार जानकारी दी गई थी। पूर्व सीईओ आदित्य सिंह ने अपनी नोटशीट में अधिकारियों की मिलीभगत मानी है। कर्मचारी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नोटिस का जवाब तक नहीं देते।
लापरवाही के कारण एकतरफ फैसला
बीसीएलएल के पूर्व सीईओ आदित्य सिंह और अपर आयुक्त पवन कुमार सिंह की लापरवाही के कारण बीसीएलएल को लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है। दरअसल उक्त अफसरों ने आर्बिट्रेशन और जिला न्यायालय में आपत्ति तक दर्ज नहीं कराई थी। इस कारण एकतरफा फैसला हुआ।
यह है पूरा मामला
ठेका कंपनी द्वारा बीसीएलएल में बिल पास नहीं होने पर कंपनी ने आर्बिट्रेशन में प्रकरण दर्ज कराया। वहां से जीतने के बाद कंपनी जिला न्यायालय गई। जिला न्यायालय में भी कंपनी ने ब्याज की राशि जोड़कर 80 लाख से अधिक की राशि बीसीएलएल से वसूली। जिसकी सालाना किराया राशि लगभग 24 लाख थी। जबकि कंपनी ने बस स्टॉप और लो-फ्लोर बसों में पूरे यंत्र नहीं लगाए और बीसीएलएल के सामने वसूली के लिए बिल लगा दिये। जब राशि जारी नहीं हुई तो ठेका कंपनी आर्बिट्रेशन गई और इसके बाद जिला न्यायालय।