काला धन कानून के तहत चार साल में 349 मामलों में 13566 करोड़ की कर की मांग की..
अघोषित विदेशी आय और संपत्ति से निपटने के लिए बनाए गए काला धन कानून के तहत आयकर विभाग ने बीते चार वर्षों में 13,566 करोड़ रुपये के कर की मांग की है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित जवाब में सदन को बताया कि काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम 2015 के तहत वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक कुल 349 मूल्यांकन आदेश जारी किए गए, जिनमें कालाधन पर 13,566 करोड़ रुपये के कर की मांग की गई। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इनमें से 183 मूल्यांकन आदेश अकेले 2021-22 में जारी किए गए हैं। इस दौरान कुल 5,350 करोड़ रुपये की मांग की गई।
चौधरी ने लोकसभा को बताया कि जब भी बेहिसाब/कालाधन का कोई मामला सामने आता है, तो आयकर विभाग आयकर अधिनियम, 1 961 के प्रावधानों के तहत तलाशी व सर्वे, आय का आकलन, कर व जुर्माना लगाना और अभियोजन शुरू करने जैसी उचित कार्रवाई करता है। 30 सितंबर 2015 को बंद एकमुश्त अनुपालन खिड़की के तहत 3 माह में 4,164 करोड़ की अघोषित विदेशी संपत्ति के 648 मामले मिले।वहीं, सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर, 2022 तक घटकर 5.53 फीसदी रह गया। मार्च, 2018 में यह 14.6 फीसदी के साथ शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि 2021-22 में सरकारी बैंकों ने जहां 66,543 करोड़ का मुनाफा हासिल किया, वहीं चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में ही यह 70,167 करोड़ रुपये हो गया है। दिसंबर, 2022 में बैंकों का एनपीए के लिए प्रावधान 46% से बढ़कर 89.9 फीसदी हो गया है। आईडीबीआई बैंक सहित सभी सरकारी बैंकों का बाजार पूंजीकरण मार्च, 2018 के 4.52 लाख करोड़ से बढ़कर दिसबंर, 2022 में 10.63 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।कराड ने बताया कि केंद्र सरकार ने सरकारी बैकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, समाधान और वसूली, बैंकों का पुनर्पूंजीकरण और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार की व्यापक 4आर रणनीति तैयार की है।
केंद्र सरकार 2016 से अब तक सैद्धांतिक तौर पर 36 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश की मंजूरी दे चुकी है।उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) में दो हजार रुपये के नोट डालने या न डालने के संबंध में केंद्र सरकार ने कोई निर्देश नहीं दिया है। बल्कि, बैंक अपने आकलन और जरूरतों के मुताबिक यह तय करने को स्वतंत्र हैं। रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2017 में 500 और 2000 के 9.51 लाख करोड़ रुपये के नोट प्रसार में थे, जो मार्च, 2022 में 27.05 लाख करोड़ हो गए।
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा सरकार के लिए चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है। हालांकि, सरकार चीन के साथ व्यापास संतुलन कायम करने के प्रयासों में जुटी है। इसके लिए भारत की तरफ से चीन को किए जाने वाले निर्यात की गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। कॉर्रपोरेट कार्य व योजना राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि सरकार ने एंटी डंपिंग व प्रतिकारी शुल्क लगाए हैं। इसके अलावा गुणवत्ता नियंत्रण के निर्देश भी दिए हैं, ताकि घटिया सामान के आयात में कमी लाई जा सके। आत्मनिर्भर भारत पहल भी चीन के साथ व्यापार संतुलन बनाने में मददगार साबित हो रही है। इसके अहम उद्योगों के कच्चे माल की आपूर्ति के लिए भी चीन के अलावा दूसरे स्रोत तलाशे जा रहे हैं।