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अजमेर: अलविदा ‘जगत मामा’, 300 बीघा जमीन, करोड़ों रुपये किए थे स्कूली बच्चों को दान

अजमेर।
 

मोह माया से भरी इस जिंदगी में अगर आप किसी से फकीरी भरी जिंदगी जीने को कहेंगे तो शायद ही वह राजी होगा। लेकिन इस चकाचौंध भरी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं। जी हां, राजस्थान के नागौर जिले के जायल कस्बे में रहने वाले पूर्णाराम गोदारा की कहानी कुछ ऐसी ही है। अपना सबकुछ पूर्णाराम ने बच्चों की शिक्षा पर न्यौछावर कर दिया और इसी की बदौलत आज उनकी मौत पर हर कोई आंसू बहा रहा है। अपने कामों की वजह से पूर्णाराम गोदारा को लोग 'जगत मामा' के नाम से भी जानते हैं।

4 करोड़ रुपये और 300 बीघा जमीन शिक्षा के लिए की दान
अपने जीवन काल में पूर्णाराम गोदारा ने शिक्षा में खूब दान किया। जानकारी के मुताबिक, अबतक उन्होंने स्कूली बच्चों को 4 करोड़ के नगद इनाम बांटे तो वहीं अपनी 300 बीघा पुश्तैनी जमीन बीघा भी स्कूली बच्चों के नाम कर दी। कहते हैं पूर्णाराम जब कभी घर से बाहर निकलते तो बिना बुलाए ही नागौर जिले के किसी भी स्कूल में चले जाते और वहां जाकर होनहार बच्चों को नकद पुरस्कार देते। अगर कहीं बच्चों की कोई प्रतियोगिता आयोजित होती तो वहां पहुंचकर अपनी तरफ से उनके लिए भोजन बनवाते।

जगत मामा के नाम से मशहूर थे पूर्णाराम गोदारा
पूर्णाराम गोदारा ने जीवनभर अकेले रहने की प्रतिज्ञा की और शादी नहीं की। लेकिन उन्होंने हर बच्चे को अपना भांजा माना और उनकी मां को अपनी बहन। जहां भी जाते सभी बच्चों को भाणेज कहकर बुलाते तो बच्चे भी उन्हें मामा कहकर पुकारते। यही वजह रही कि धीरे-धीरे उन्हें लोग जगत मामा कहने लगे और वो पूरे इलाके में जगत मामा के नाम से मशहूर हो गए।

जगत मामा के जाने से गमगीन हुआ नागौर जिला
पूर्णाराम गोदारा यानी जगत मामा के चले जाने से पूरा नागौर जिला सहित अजमेर में लोगों ने उनकी मौत पर आंसू बहाए। लोगों का कहना था कि आज जगत मामा के जाने से शिक्षा का दानी चला गया और शायद ही अब दूसरा कोई जगत मामा आएगा।

 

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