जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक के दौरान अतिथि देवो भवः परंपरा की नजीर पेश करेगा हरियाणा
चंडीगढ़ । हरियाणा के गुरुग्राम में 1 से 4 मार्च तक आयोजित होने वाली जी-20 देशों के एंटी करप्शन वर्किंग ग्रुप की बैठक की तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर स्वयं कार्यक्रम की तैयारियों की विभागवार समीक्षा तथा निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठकों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि सभी राज्य इस दौरान अपनी समृद्ध संस्कृति और बेहतर पहलुओं का प्रदर्शन करें, ताकि सम्मेलन में आने वाले विदेशी मेहमानों के मन में भारत की अच्छी छवि बने।
इस सम्मेलन में हरियाणा अपनी अतिथि देवो भवः परंपरा की नजीर पेश करेगा। आयोजन को लेकर गुरुग्राम में करीब 100 सार्वजनिक स्थलों पर जी -20 के लोगो (प्रतीक चिन्ह) प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके साथ ही मेट्रो पिलर, राष्ट्रीय राजमार्ग व विभिन्न इमारतों को भी रोशन किया जाएगा।
आयोजन से जुड़े स्थल और सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के ठहरने के इंतजाम भी पूरे कर लिए गए हैं। वहीं, भ्रमण के लिए म्यूजियो कैमरा, सुल्तानपुर लेक, बायोडायवर्सिटी पार्क, साइबर हब, तावडू कार म्युजियम, प्रतापगढ़ फार्म आदि स्थानों को लेकर स्वच्छता, हरियाली एवं सुरक्षा इंतजामों की समुचित व्यवस्था की गई है। म्यूजियो कैमरा में 42 अग्रणी फोटोग्राफर्स द्वारा भारत की पिछले 75 वर्षों में फोटोग्राफी के सफर पर आधारित प्रदर्शनी लगाई जाएगी। विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान सुल्तानपुर लेक पर हरियाणा में संचालित महिला स्वयं सहायता समूहों की कार्यप्रणाली को प्रदर्शित किया जाएगा। जी- 20 के अतिथियों का मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर (मोटा अनाज वर्ष) पर फोकस करते हुए मोटे अनाज से तैयार उत्पादों, हरियाणवी पारंपरिक पगड़ी बांधकर और तिलक लगाकर स्वागत किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जी-20 की स्थापना वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी। वर्ष 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर जी -20 को राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर तक उन्नत किया गया और वर्ष 2009 में इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच के रूप में नामित किया गया। यह सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुरुआत में जी-20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया।
भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक जी -20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए जी-20 अध्यक्षता अमृत काल की शुरुआत है, जो 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से शुरू होकर एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशी और विकसित समाज, जिसकी मुख्य विशेषता मानव – केंद्रित दृष्टिकोण है, के लिए अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक 25 वर्ष की अवधि है।