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 मुंबई के बाबुलनाथ मंदिर में दुग्धाभिषेक पर रोक, सिर्फ जल चढ़ाने की अनुमति

मुंबई । महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के ईष्ट देव माने जाने वाले बाबुलनाथ मंदिर के शिवलिंग को रसायनयुक्त अबीर, चंदन, दूध से क्षति पहुंच रही है। मंदिर ट्रस्ट ने शिवलिंग को क्षति से बचाने के लिए आईआईटी बॉम्बे से सर्वे कराकर मदद ली है। मंदिर ट्रस्ट को आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट में शिवलिंग के संरक्षण को लेकर जो भी सुझाव दिया जाएगा, उस पर विचार-विमर्श करने के बाद ट्रस्ट निर्णय लेगा। मंदिर ट्रस्ट ने सभी शिवभक्तों से अपील की है कि वे दर्शन के लिए आने पर मंदिर ट्रस्ट की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन करें। फिलहाल, मंदिर में दुग्धाभिषेक की अनुमति नहीं है।
श्री बाबुलनाथ मंदिर चैरिटीज के अध्यक्ष नितिन ठक्कर ने कहा कि कोरोनाकाल से मंदिर में दुग्धाभिषेक बंद है। मंदिर के पुजारियों ने 8 से 10 महीने देखा कि शिवलिंग को रसायनयुक्त वस्तुओं से अनुष्ठान करने के चलते क्षति पहुंच रही है। पुजारियों की शंका का समाधान करने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने आईआईटी बॉम्बे से सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया। आईआईटी बॉम्बे की टीम शिवलिंग के संरक्षण पर सलाह देगी। रिपोर्ट मार्च तक आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बाबुलनाथ मंदिर में मुंबईकरों की आस्था है। हम शिवलिंग को लेकर बहुत ही संवेदनशील हैं और उसके संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।
मंदिर से जुड़े लोगों के अनुसार भगवान शिव के अनुष्ठान में दूध, जल, शहद, अबीर, गुलाल, चंदन, भस्म, बिल्व पत्र, कनेर के फूल, धतूरा आदि चढ़ाए जाते हैं। बाजार में उपलब्ध अबीर, चंदन, भस्म में मिलावट और केमिकल मिला होता है। दूध में भी कैल्शियम होता है। इन केमिकलयुक्त वस्तुओं से शिवलिंग को क्षति होने की आशंका रहती है।
बाबुलनाथ मुंबई के सबसे प्रमुख शिवाला (शिव मंदिर) हैं। सदियों पुराने शिवलिंग को हुए नुकसान से बचाने के लिए आईआईटी-बॉम्बे से विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। 350 साल पुराने अवशेष में अपक्षय के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसके कारण मंदिर के अधिकारियों ने दूध, राख, गुलाल और विविध प्रसाद के अभिषेक (अर्पण) पर अंकुश लगाया है। केवल पानी की अनुमति है।
बाबुलनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नितिन ठक्कर ने कहा कि शिवलिंग 350 साल पुराना है। नियमित रूप से पूजा करने वाले हमारे पुजारियों ने हाल ही में क्रैक पाए और हमें सतर्क किया। आईआईटी के विशेषज्ञों ने साइट का निरीक्षण किया और एक प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें मिलावटी पदार्थों के लगातार प्रभाव से होने वाले नुकसान की ओर इशारा किया गया। कुछ दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

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