देश

हाई कोर्ट की आइएएस संजीव वर्मा के वेयर हाउसिंग के दो अधिकारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक

चंडीगढ़
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी संजीव वर्मा के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत संजीव वर्मा ने कारपोरेशन के दो अधिकारियों संदीप कुमार शर्मा व जगदीश चंद को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्हें जिन पदों पर नौकरी दी गई है, उसके लिए वह योग्यता नहीं रखते थे। अशोक खेमका के एमडी रहते हुए इन दोनों अधिकारियों को नौकरी पर रखा गया था। दोनों अधिकारियों ने संजीव वर्मा द्वारा आठ जून 2022 को जारी बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए कोर्ट में दलील कि यह आदेश नियमों के खिलाफ जारी किया गया है। उनकी नियुक्ति तय मानकों के अनुसार व उचित तरीके से की गई थी।

एक स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा उनको शार्ट लिस्ट करने के बाद तीन आइएएस अधिकारियों की कमेटी ने उनका साक्षात्कार लिया था। ऐसे में उनकी नियुक्ति अवैध कैसे हो सकती है। उनको बर्खास्त करने के बारे में जब कारण बताओ नोटिस जारी किया गया तो उन्होंने अपना पक्ष रखकर नियुक्ति को वैध ठहराने के कारण बताए थे। इन दोनों अधिकारियों ने अपने जवाब में कहा था कि पहले भी दो अन्य अधिकारियों को इसी आधार पर बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। याची पक्ष ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि वह हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी संजीव वर्मा के आदेश पर रोक लगाए।

याची पक्ष की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस अनुपिंदर ग्रेवाल ने कृर्षि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी संजीव वर्मा, आइएएस अशोक खेमका को 27 अक्टूबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसी के साथ कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश पर भी रोक लगा दी। हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी संजीव वर्मा ने वर्ष 2010 में अशोक खेमका पर विभाग में एमडी के पद पर रहते हुए नियुक्ति में अनियमितताएं बरतने के आरोप लगाए थे। इसकी जांच हुई और दर्जनों अधिकारियों की नियुक्ति रद कर दी गई। इसके बाद 21 अप्रैल को पहले संजीव वर्मा ने आइएएस अशोक खेमका के खिलाफ पंचकूला सेक्टर-5 थाने में एफआइआर दर्ज करने की शिकायत दी। फिर आइएएस अशोक खेमका ने आर्काइव डिपार्टमेंट में वाहन के मिसयूज की शिकायत के पुराने मामले में आइएएस संजीव वर्मा और रवींद्र के खिलाफ केस दर्ज करवाया। दोनों के मामले अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button