नई दिल्ली में सेंट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों की बड़ी बैठक, भारत ने पेश किया विकास का प्लान
नई दिल्ली
सेन्ट्रल एशियाई देशों के विदेशमंत्रियों की भारत की राजधानी नई दिल्ली में बड़ी बैठक चल रही है, जिसमें भारत ने राजनयिक संबंधों के साथ साथ व्यापार और कनेक्टिविटी को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की बात कही है। मध्य एशियाई देशों के साथ बैठक में भारत ने 4-सी यानि कॉमर्स, कैपिसिटी इनहेंसमेंट, केनेक्टिविटी और कॉन्टेक्स का मंत्र दिया है। भारत के विदेश मंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि, हमें इन 4-सी पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
नई दिल्ली में मध्य एशियाई देशों की बैठक नई दिल्ली में मध्य एशियाई देशों की बैठक सेन्ट्रल एशियाई देशों की बैठक की मेजबानी इस साल भारत कर रहा है और कार्यक्रम के उद्धाटन समारोह को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, ''यह बैठक तेजी से बदलती वैश्विक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था और स्थिति के बीच हो रही है।'' भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि, ''कोविड-19 स्थिति के परिणामस्वरूप वैश्विक स्वास्थ्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। इसने समाज और कार्यस्थलों, सप्लाई चेंजेज और किसी भी सरकार की शासन पद्धति के तरीके को बदलकर रख दिया है।'' भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि, ''इसने मौजूदा बहुपक्षीय ढांचे की अपर्याप्तता को उजागर करने के साथ साथ नये खतरों को भी सामने ला दिया है''।
संबंधों को नया आयाम संबंधों को नया आयाम भारतीय विदेश मंत्री ने सेन्ट्रल एशियाई देशों का भारत के साथ अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि, "हमारे संबंधों को अब 4 सी यानि, वाणिज्य, क्षमता वृद्धि, कनेक्टिविटी और संपर्क पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि, कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, हमारे देशों ने हमारे संबंधों की गति को बनाए रखा है।" भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि, "कोविड ने सभी देशों को प्रभावित किया है। भारत ने 90 से अधिक देशों को वैक्सीन की आपूर्ति की है और महामारी के दौरान भारतीय छात्रों ने जो बेहतरीन काम किया है, उसने हमारे रिश्ते को और मजबूत करने का काम किया है''।
सेन्ट्रल एशिया की तीसरी बैठक सेन्ट्रल एशिया की तीसरी बैठक आपको बता दें कि, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक की मेजबानी कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य ट्रेड, कनेक्टिविटी एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को मजबूत करना है। 20 दिसंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उजबेकिस्तान के विदेश मंत्री भाग ले रहे हैं। इसके साथ ही इस बैठक का एक और मुख्य उद्येश्य अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा करना है, क्योंकि ये सभी देश अफगानिस्तान के साथ सीमा को साझा करते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने कई देशों की विदेश मंत्री से मुलाकात की है और सेन्ट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ उसी कड़ी में एक और बड़ी मुलाकात है, जिसमें अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और मानवीय मदद पहुंचाने पर बात की जाएगी।
अफगानिस्तान पर भारत का प्रस्ताव अफगानिस्तान पर भारत का प्रस्ताव बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के साथ साथ भारत और दूसरे सेंट्रल एशियाई देसों के बीच ''गहरे जड़ें और सभ्यतागत संबंधों" को रेखांकित करते हुए बैठर में अफगानिस्तान के मौजूदा हालत पर चिंता जताई है। इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया है, जिसमें हर वर्ग, जाति और अल्पसंख्यकों को स्थान और अधिकार देने की बात कही है। बैठक में भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि, मानवीय संकट के दौरान हमें किसी भी हालत में अफगानिस्तान के लोगों की मदद करनी ही होगी और हमें मदद के लिए रास्ते निकालने ही होंगे।