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राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन अवसर के प्रबंधन को लेकर मंथन तेज

नई दिल्ली । अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर के मुख्य भाग का निर्माण अगले वर्ष के प्रारंभ में पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही अगले वर्ष के प्रारंभ में मकर संक्रांति के बाद इसे रामभक्तों के लिए खोले जाने की आशा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक जनवरी के तीसरे सप्ताह में बड़े आयोजन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गर्भगृह में रामलला की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी है। इस ऐतिहासिक अवसर को लेकर विश्व भर के रामभक्तों में अपार उत्साह है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मौके पर देशभर से हजारों साधु-संत और लाखों रामभक्त अयोध्या पहुंचेंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। साथ ही भक्तों के अयोध्या पहुंचने का यह सिलसिला आगे अनवरत चलता रहेगा। ऐसे में उद्घाटन अवसर के साथ ही आगे व्यवस्था प्रबंधन पर मंथन तेज है। यह मंथन केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार विश्व हिंदू परिषद (विहिप) व तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में प्रारंभिक स्तर पर शुरू हुई है। इसमें यह समझा जा रहा है कि किस तरह से उद्घाटन उत्सव के साथ ही आगे दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिए उचित प्रबंधन किया जाए। ताकि बिना किसी अव्यवस्था के उन्हें अच्छे से प्रभु राम का दर्शन मिल जाए। वर्ष 2020 में पांच मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंदिर के लिए भूमि पूजन अनुष्ठान किया गया था तब कोरोना महामारी का वक्त था। इसलिए प्रधानमंत्री के साथ मंच पर सीमित साधु- संतों की मौजूदगी रखी गई थी। भक्त गण भी कम ही थे। अगले वर्ष जब संघर्ष और सैकड़ों वर्ष का इंतजार खत्म होगा और भव्य राममंदिर में प्रभु राम विराजेंगे तब इस ऐतिहासिक मौके का साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित साधु-संतों के साथ राजनीतिज्ञों के आवेदन हैं। ऐसे में इसपर मंत्रता की जा रही है कि प्रधानमंत्री के साथ मंच पर किस-किस की मौजूदगी हो।

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