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हिजाब पर विवाद: जो ड्रेस कोड का पालन नहीं कर सकतीं, वे दूसरा विकल्प देख लें

बेंगलुरु। कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY का मामला गर्माता जा रहा है। सरकार ने दो टूक कह दिया है कि ड्रेस कोड लागू होगा। ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वालीं छात्राओं के लिए दूसरे विकल्प खुले हैं। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश  ने कहा है कि छात्राएं राजनीति दलों के लिए 'टूल' न बनें। स्कूल कैम्पस में दाखिल होने पर उन्हें अपना हिजाब बैग में रखना होगा।

कर्नाटक सरकार स्कूलों में ड्रेस कोड लागू कराने को लेकर सख्त होती दिखाई दे रही है। abplive की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कड़े शब्दों में कहा कि जो छात्राएं यूनिफॉर्म ड्रेस कोड का पालन नहीं कर सकती हैं, वे दूसरा विकल्प खोजने के लिए आजाद हैं। मंत्री ने सेना का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसा वहां नियमों का पालन किया जाता है, वैसा ही शैक्षणिक संस्थानों में भी किया जाना चाहिए। 

सरकार ने जारी किया है सर्कुलर
कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार ने शनिवार को प्रदेशभर के शैक्षणिक संस्थानों में शांति, सद्भाव और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। बीसी नागेश ने बताया कि इसमें साफ कहा गया है कि स्कूल कैम्पस में हिजाब पहनकर आने की परमिशन नहीं होगी।

राहुल गांधी ने tweet करके विवाद को दी थी हवा
5 फरवरी को कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने एक tweet किया था। इसमें लिखा कि हिजाब को शिक्षा के रास्‍ते में लाकर भारत की बेट‍ियों का भविष्‍य बर्बाद किया जा रहा है। राहुल गांधी ने भाजपा पर तंज कंसते हुए कहा था कि, 'मां शारदा सभी को बुद्धि दें।' इसके जवाब में कर्नाटक भाजपा ने tweet करके लिखा था-शिक्षा का साम्प्रदायिकरण, कांग्रेस को-ओनर एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह भारत के भविष्य के लिए खतरनाक हैं।

ऐसे शुरू हुआ विवाद
.कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वालीं लड़कियों को कॉलेज में एंट्री नहीं दी जा रही है। वहीं, हिजाब के जवाब में हिंदू लड़कियां केसरिया दुपट्टा पहनकर आने लगी हैं। विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी, जहां जनवरी में हिजाब पर बैन लगा दिया था। इस मामले के बाद उडुपी के ही भंडारकर कॉलेज में भी ऐसा ही किया गया। अब यह बैन शिवमोगा जिले के भद्रवती कॉलेज से लेकर तमाम कॉलेज तक फैल गया है। इस मामले को लेकर रेशम फारूक नाम की एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। गुरुवार को भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज के प्रिंसिपल ने अंदर नहीं आने दिया था। उनका तर्क था कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। जबकि छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब पहनकर ही कॉलेज आती रही हैं।

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