देश

देश में सालाना 17 लाख टन से अधिक का E-waste हो सकेगा री-साइकल..

देश में ई-वेस्ट के नए नियम एक अप्रैल से प्रभावी होंगे। इससे पहले देश भर में इसके बेहतर प्रबंधन की तैयारियां तेज हो गई है। ई-वेस्ट की री-साइक्लरों की संख्या और उनकी क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी की गई है।इसके साथ ही री-साइक्लिंग के पूरे सिस्टम को एक ऐसे आनलाइन पोर्टल से जोड़ा जा रहा है, जहां री-साइक्लर का पूरा ब्यौरा मौजूद रहेगा। उनके काम-काज की ऑनलाइन निगरानी रहेगी। इन नए नियमों के तहत ई-कचरे के संग्रहण और री-साइक्लिंग की जिम्मेदारी री-साइक्लर की होगी।

हालांकि, वह हर साल जितनी क्षमता का ई-कचरा री-साइक्ल करेंगे वह उसे ब्रांड उत्पादकों को बेंच सकेंगे। नए नियमों में ब्रांड उत्पादक ही जवाबदेह होगा। वह हर साल जितना ई- वेस्ट पैदा करेंगे, उसके आधार पर ही उन्हें री-साइक्लरों से उतनी क्षमता या फिर निर्धारित मात्रा के बराबर का ई-वेस्ट री-साइकल सर्टिफिकेट खरीदना होगा। जो वह देश के किसी भी री- साइक्लर से खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। यदि वह ऐसा नहीं करते है, तो उनके उत्पादन पर रोक लगाई जा सकती है। साथ ही उनके खिलाफ भारी जुर्माना सहित आपराधिक कार्रवाई भी सकती है।

जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। मंत्रालय के मुताबिक अब तक देश भर में 567 से ज्यादा री- साइक्लरों ने आनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इनकी क्षमता भी सालाना 17 लाख टन से ज्यादा की है। इससे पहले देश में करीब चार सौ ही री-साइक्लर थे।वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नए नियमों में ब्रांड उत्पादकों को बेवजह के झंझट से मुक्त कर दिया गया है, साथ बेतरतीब तरीके से बिखरे री-साइक्लिंग क्षेत्र को एक नए उद्योग के रूप में मान्यता दी गई है। जहां उसे ई-वेस्ट के री-साइकल की पूरी कीमत मिलेगी।

यह बात अलग है कि इसके चलते इलेक्ट्रानिक्स या इलेक्टि्रक वस्तुओं की कीमतों में कुछ बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। हालांकि इससे जो बड़ी राहत मिलेगी वह ई-वेस्ट की विस्फोटक स्थिति से निजात मिलेगा। मौजूदा समय में देश में हर साल करीब 11 लाख टन ई-वेस्ट पैदा हो रहा है।वहीं मौजूदा नियमों में ब्रांड उत्पादकों को ही ई-वेस्ट के संग्रहण की भी जिम्मेदारी दी गई थी। ऐसे में हर साल पैदा होने वाले ई-वेस्ट का सिर्फ दस फीसद ही संग्रह हो पाता है। जिसके बाद यह नए नियम लाए गए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button