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आत्मनिर्भर हो रही भारतीय सेना, अब मेड इन इंडिया हथियारों से दुश्मनों के ‘दांत होंगे खट्टे’

 नई दिल्ली।

रक्षा सामग्री की खरीद के मामले में भारत की विदेशों से निर्भरता घटने लगी है। पहली बार रक्षा सामग्री की घरेलू खरीद विदेशों से की गई खरीद से 75 फीसदी ज्यादा दर्ज की गई है। रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 के दौरान 76074 करोड़ रुपये की घरेलू खरीद हुई, जबकि इस दौरान विदेशों से कुल 42786 करोड़ की रक्षा सामग्री खरीदी गई।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि घरेलू खरीद में नौसेना के लिए जंगी पोत, पनडुब्बियां, तेजस लड़ाकू विमान, टैंक, तोप, गोले एवं अन्य हथियार एवं प्लेटफार्म शामिल हैं। सरकार मेक इन इंडिया के तहत देश में रक्षा सामग्री का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, ताकि आयात से निर्भरता सीमित हो। दूसरे, देश में उत्पादित रक्षा सामग्री का मित्र देशों को निर्यात भी किया जा सके।

सूत्रों ने कहा कि पिछले पांच सालों से कुल खरीद में विदेशी खरीद की हिस्सेदारी लगातार घट रही है। पिछले साल इसमें रिकॉर्ड कमी आई है तथा विदेशों की तुलना में घरेलू खरीद 75 फीसदी तक ज्यादा दर्ज की गई है। सरकार ने इस साल के बजट में कुल रक्षा बजट में रक्षा सामग्री की 68 फीसदी खरीद घरेलू स्तर पर करने का ऐलान किया था। ताजा आंकड़ों से स्पष्ट है कि मंत्रालय इस लक्ष्य के काफी करीब पहुंच चुका है।
 
मंत्रालय की रणनीति : रक्षा मंत्रालय भविष्य में सिर्फ उन्हीं रक्षा तकनीकों को विदेशों से आयात करेगा जो बेहद उच्च स्तर की हैं, जिनका निर्माण देश में अभी संभव नहीं। बाकी जिन तकनीकों का निर्माण देश में किया जा सकता है, उन्हें अगले पांच सालों के भीतर देश में ही होगा। ऐसी 308 तकनीकों की पहचान की जा चुकी हैं।

रक्षा मंत्रालय ने इस दावे को अप्रमाणिक करार दिया है कि भारत शीर्ष रक्षा आयातक देशों में शामिल है। मंत्रालय के अनुसार यह प्रमाणिक आंकड़े नहीं हैं क्योंकि ज्यादातर देश खरीद के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करते हैं। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार 2014-19 के दौरान भारत दुनिया में दूसरा बड़ा हथियार आयातक देश था।

 

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