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फ्रांस की बाराकुडा क्लास परमाणु पनडुब्बियों पर भारत की नजर, फ्रांसीसी रक्षा मंत्री के भारत दौरे के क्‍या हैं निहितार्थ?

नई दिल्‍ली
रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के बाद फ्रांसीसी रक्षा मंत्री का दिल्‍ली दौरा कई मायने में उपयोगी साबित हो सकता है। दुनिया में तेजी से बदलते सामरिक गठजोड़ से भारत और फ्रांस लगातार निकट आ रहे हैं। इन रिश्‍तों को नया आयाम देने के लिए फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले भारत के दौरे पर हैं। यह दावा किया जा रहा है कि फ्रांसीसी रक्षा मंत्री भारत यात्रा के दौरान मेक इन इंडिया के तहत बाराकुडा क्लास परमाणु पनडुब्बियों के लिए प्रस्‍ताव दे सकती हैं। अब यह भारत पर निर्भर करता है कि वह फ्रांस की इस परमाणु पनडुब्बी को खरीदेगा या फिर किसी दूसरी योजना पर काम करेगा। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री के इस दौरे पर अमेरिका और चीन की भी पैनी नजर है। खास बात यह है कि फ्रांसीसी रक्षा मंत्री का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब आस्‍ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ परमाणु पनडुब्बी करार को रद कर दिया है। ऐसे में फ्रांस को भारत में अधिक संभावना दिख रही है।

हिंद महासागर में भारतीय नौसेना को मिलेगी अजेय बढ़त
हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में भारत को मिल रही चुनौती को देखते हुए यह भारत के सैन्य उपकरणों के मामले में सबसे महत्वपूर्ण पेशकश हो सकती है। इन पनडुब्बियों के जरिए भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी क्षमता को और ज्यादा बढ़ा सकती है। इससे चीन से मिलने वाली चुनौती से भी निपटा जा सकता है। किसी भी देश के लिए परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी को उसकी सैन्य क्षमता का ताज माना जाता है। ऐसे में अगर टेक्नोलाजी ट्रांसफर के तहत फ्रांस इन पनडुब्बियों को भारत में बनाने का आफर देता है तो भारत को इसे ठुकराना भी आसान नहीं होगा।
यह पहली बार है जब कोई देश भारत को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी तकनीक की पेशकश करेगा। इसके पूर्व तत्कालीन सोवियत संघ ने दो मौकों पर भारत को परमाणु-संचालित अटैक पनडुब्बियों को पट्टे पर दिया था। भारत ने रूस के साथ परमाणु पनडुब्बियों की खरीद को लेकर एक सीक्रेट डील की थी। इस डील की कुल लागत तब 3 बिलियन डालर बताई गई थी। इसके तहत 2025 में भारत को रूस से एक परमाणु पनडुब्बी मिलेगी, जिसे आईएनएस चक्र III के नाम से जाना जाएगा। यह पनडुब्बी भी आईएनएस चक्र की तरह भारतीय नौसेना में अगले 10 साल तक सेवा देगी। भारत को जो पनडुब्बी मिलने वाली है वह रूस की अकूला II क्लास की K-322 Kashalot है। इसमें इंट्रीग्रेडेड सोनार सिस्टम लगा हुआ है, जो काफी दूर से बिना किसी हलचल के दुश्मन की लोकेशन के बारे में पता लगा लेता है। भारत के आईएनएस अरिहंत में भी ऐसा ही सिस्टम लगाया गया है।

अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान देने को तैयार फ्रांस
चीन और पाकिस्तान से जारी तनाव के बीच भारत को दुनिया के कई देशों से अत्याधुनिक हथियारों को खरीदने के आफर मिल रहे हैं। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री ने ऐलान किया है कि जरूरत पड़ी तो उनका देश भारत को अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों को देने के लिए राजी है। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री ने कहा कि एक ही तरह के विमान को दो रणनीतिक साझेदारों की वायु सेना में इस्तेमाल करना उनके संबंधों की वास्तविक परिसंपत्ति और मजबूती को दिखाता है। गौरतलब है कि फ्रांस ने अब तक कोरोना महामारी के बावजूद भारत को निर्धारित समय पर 33 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की है। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ करीब 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए डील पर हस्ताक्षर किए थे।

आकस से भारत को मिला मौका
दरअसल, अमेरिका-ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के बीच हुई आकस (AUKUS) संगठन के वजूद में आने के बाद भारत के लिए अपनी नौसेना परमाणु तकनीक हासिल करने का यह एक बेहतर मौका है। आस्ट्रेलिया के साथ परमाणु पनडुब्बी करार के रद होने के बाद फ्रांस भी नया ग्राहक तलाश रहा है। कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बात भी की थी। फ्रांस भारत का रणनीतिक भागीदार देश भी है। भारत ने फ्रांस से स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों को भी खरीदा है। इसके अलावा, राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमान भी फ्रांस में ही बने हुए हैं।

भारतीय नौसेना के पास परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत
मौजूदा समय में भारतीय नौसेना में केवल एक ही बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत तैनात है। स्पेशल मिशन के लिए बनाई गई यह पनडुब्बी भारत के 7516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की रखवाली करने के लिए शायद पर्याप्त नहीं है। यही कारण है कि भारत इन दिनों रूस के साथ चक्र सीरीज की दो पनडुब्बियों को लीज पर लेने के लिए बात कर रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान यह बात उठी थी कि दोनों देशों के बीच एक पनडुब्बी की सौदे पर भी हस्ताक्षर भी किए जा सकते हैं।
 

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