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मोबाइल बच्चों को बना रहा जिद्दी, बिगड़ रही आंखों की सेहत, संतान को इस तरह बनाएं स्‍ट्रॉन्‍ग

खगडिय़ा
मोबाइल की लत खतरनाक साबित हो सकता है। बच्चों और किशोरों में मोबाइल की लत मानसिक रोगी बना सकता है। ऐसे में अभिभावक को बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत है। मोबाइल फोन पर बहुत अधिक गेम खेलना, दिनभर वीडियो देखते रहना या इसका किसी भी रूप में बहुत अधिक इस्तेमाल, उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद ही नुकसानदायक है। उक्त बातें सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि बच्चों और किशोरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। डा. नरेंद्र कुमार ने कहा कि मोबाइल की लत से बच्चों की दैनिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे मानसिक रोग का शिकार बन जाते हैं।

मोबाइल की लत से निमोफोबिया के शिकार हो सकते हैं बच्चे
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र कुमार के अनुसार मोबाइल की बहुत अधिक लत से बच्चे नोमोफोबिया के शिकार हो सकते हैं। नोमोफोबिया एक ऐसी मन: स्थिति है जिसमें मोबाइल फोन कनेक्टिविटी से अलग होने का डर होता है। जो बच्चे या किशोर मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग करते हैं उन्हें मोबाइल के बिना एक पल अकेले नहीं रह पाना, मोबाइल की बैट्री खत्म होने पर बेचैनी जैसी स्थिति होना, मोबाइल खोने का डर जैसी स्थिति होती है। ऐसे डर को नोमोफोबिया करते हैं। इससे किशोरों और बच्चों के मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे कुछ दिनों के बाद कम बोलने लगते है। मोबाइल के साथ एकांत में रहना पसंद करने लगते हैं। जो धीरे धीरे बच्चों में, किशोरों में मानसिक विकृति पैदा कर देती है।

मोबाइल की लत को दूर करें
चिकित्सक ने कहा कि बच्चों में मोबाइल की लत को दूर करने के लिए परिवार में अनुशासन जरूरी है। बच्चों को एक निर्धारित समय के लिए मोबाइल फोन के इस्तेमाल के लिए कहा जा सकता है। बच्चों को आउट डोर या इंडोर खेलकूद या दूसरी रचनात्मक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें। पेरेंट्स बच्चों को घर से बाहर घूमने टहलने ले जाएं। अच्छी कहानियां सुनाएं। मोबाइल की आदत को छुड़ाने के लिए उन पर प्रतिबंध भी लगाना जरूरी है। अभिभावक स्वयं भी मोबाइल के इस्तेमाल में सावधानी बरतें।

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