देश

विदेश में बैठकर जिला परिषद अध्‍यक्ष के लिए नेताजी कर रहे जोड़-घटाव

बांका
ब्‍लाक प्रमुख और जिला परिषद अध्‍यक्ष पद के चुनाव को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। संभावित उम्‍मीदवार अपने पाले को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के वादे और प्रलोभन दे रहे हैं। लेकिन इस बीच बांका का टूर पालिटिक्‍स खूब चर्चे में है। यहां पर जिला परिषद अध्‍यक्ष पद के दावेदान विदेश में बैठकर सियासी गणित को ठीक कर रहे हैं।  दरअसल, जिला परिषद के नए अध्यक्ष को लेकर कुछ दिन पूर्व तक राजेंद्र यादव का गुट भारी दिख रहा था। मगर पुलिस की एक दबिश के बाद खुद राजेंद्र यादव ही भूमिगत हो गए हैं। ऐसे में उनके पार्षद कहां और किस परिस्थिति में बदल रहे हैं, इसके बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। इधर, पूर्व जिप उपाध्यक्ष सह नवनिर्वाचित जिप सदस्य राजेंद्र यादव के भूमिगत होने से निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष सह बेलहर के जिला पार्षद सुनील कुमार सिंह भारी पड़ने लगे हैं। चर्चा है कि वे अपने समर्थक पार्षदों के साथ नेपाल के काठमांडू में शरण लिए हैं। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि उनके साथ 15 जिला पार्षद विदेश की सैर पर हैं। इस गुट ने जिला परिषद उपाध्यक्ष सीट पर अपना चेहरा साफ कर दिया है। धोरैया प्रखंड के सबसे पुराने जिला पार्षद रफीक आलम इस गुट से उपाध्यक्ष दावेदार बनकर सामने आए हैं। इसके पहले से सक्रिय अध्यक्ष दावेदार विश्वजीत दिपांकर गुट भी सुस्त दिख रहा है। कोई पार्षद नाम लेनेवाले भी नहीं हैं। बहरहाल, बांका से चांदन तक और पटना से काठमांडू तक बांका जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की सरगर्मी दिख रही है। लोग इस दांव पेंच के परिणाम के लिए साल के अंतिम दिनों का इंतजार करना होगा।

अध्यक्ष के लिए 13 पार्षदों की संख्या
25 जिप सदस्य वाले बोर्ड में जिला परिषद अध्यक्ष बनने के लिए 13 पार्षदों की संख्या मत जरुरी है। सुनील गुट के समर्थकों का दावा है कि उनके पास पर्याप्त संख्या बल मौजूद हैं। जबकि राजेन्द्र के भी समर्थकों का कहना है कि उनके पास भी अध्यक्ष बनने लायक संख्या हैं। अब देखना यह है कि जिला परिषद का अध्यक्ष कौन होंगे।

रफीक व नीलम होंगे उपाध्यक्ष उम्मीदवार
सुनील अगर अध्यक्ष के उम्मीदवार होंगे तो उनके गुट के उपाध्यक्ष रफीक आलम होंगे। जबकि, राजेन्द्र गुट के उपाध्यक्ष पद पर बाराहाट क्षेत्र से नवनिर्वाचित जिप सदस्य नीलम सिंह के होने की चर्चा है। नीलम भी जिला परिषद का उपाध्यक्ष पद संभाल चुकी है। उनके देवर कांग्रेस के पूर्व उम्मीदवार जितेंद्र सिंह द्वारा भी इसके लिए जोड़ तोड़ की राजनीति करने की चर्चा है।
 

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