दो खेमों में बंटी दुनिया में तटस्थ भारत बना कूटनीति का केंद्र

नई दिल्ली
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर जहां दुनिया दो खेमों में विभक्त हुई नजर आ रही है, वहीं भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति एवं कूटनीतिक सूझबूझ से इस मामले में तटस्थ रुख अपनाये हुए है। जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार से भारत के रूस से प्रगाढ़ रिश्ते हैं और यूक्रेन को भी लगातार मानवीय मदद मुहैया करा रहा है, उससे आने वाले समय में इस संकट के समाधान में उसकी नई भूमिका निकल सकती है।
भारत पर अमेरिका और यूरोप की तरफ से भारी दबाव है। यह दबाव यूएन में भी था लेकिन इस मुद्दे पर करीब दस बार हुई वोटिंग में उसने अनुपस्थित रहकर किसी के साथ खड़ा होने से परहेज किया। अमरीका और रूस दोनों ने इस रुख पर संतुष्टि प्रकट की है। लेकिन अमेरिका चाहता है कि भारत, रूस से आर्थिक रिश्ते तोडे़ और डॉलर के विकल्प के रूप में किसी अन्य प्रकार से व्यापार को बढ़ावा नहीं दे। हालांकि आज की बात में भले ही स्पष्ट तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा न हुई हो लेकिन पीएम ने अपने संबोधन में स्पष्ट संकेत दे दिया कि वे किसी के साथ खड़े नहीं हैं तथा शांतिपूर्ण समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच सीधी वार्ता के पक्षधर हैं। इससे साफ है कि रुस के साथ भारत अपने आर्थिक रिश्तों में कोई कमी नहीं करेगा।
विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति में सचिव रह डॉ देवेन्द्र सिंह ने कहा कि अमरीका की पहल पर यह बातचीत होना महत्वपूर्ण है। आज पूरा विश्व इस संकट का हल चाहता है। हो सकता है कि राष्ट्रपति बाइडन रूस-भारत संबंधों के मद्देनजर इसमें भारत की बड़ी भूमिका देखते हों। पूर्व में जब रूस के विदेश मंत्री भारत आये थे तो भारत ने उनसे स्पष्ट कहा था कि भारत शांति की स्थापना के लिए कोई भी भूमिका निभाने को तैयार है।
सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री के बाइडन से कही बातों से यह भी स्पष्ट है कि वह अपने तटस्थ रुख से झुकने वाला नहीं है। अमेरिका भी इस बात को भली प्रकार समझता है। इसलिए वह भारत की संभावित भूमिका को लेकर भी आशान्वित प्रतीत होता है। जब से रुस यूक्रेन जंग शुरू हुई है, भारत लगातार सभी पक्षों से वार्ता कर रहा है। इस दौरान भारत को साधने के लिए रूस, चीन, ब्रिटेन, मैक्सिको के विदेश मंत्रियों समेत जर्मनी, अमेरिका आदि के शीर्ष अधिकारियों ने भारत यात्रा भी की। लेकिन भारत ने तब भी स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति से जरा भी टस से मस नहीं होगा। साथ ही रुस से तेल की खरीद या अन्य व्यापार में वह देश हित के अनुरुप निर्णय लेगा। बाइडन से बातचीत में प्रधानमंत्री ने भारत के मानवीय दृष्टिकोण को भी रखा है जिसमें बूचा नरसंहार की खुले शब्दों में निंदा और यूक्रेन को और मानवीय सहायता का ऐलान शामिल है।