ओमिक्रोन ने मेट्रो से यात्रा करने वालों के लिए बढ़ाई मुसीबत, स्टेशनों के बाहर लगी लंबी लाइनें
नई दिल्ली
राजधानी में कोरोना संक्रमण बढ़ते मामलों को देखते सख्ती शुरू हो गई है, लेकिन इसके चलते कामकाजी लोगों की परेशानियां भी बढ़ने लगी है। बसों में 50 फीसद यात्रियों के ही बैठने का नियम लागू होने पर पहले दिन बुधवार को लोग बस स्टाप पर बस के लिए घंटों इंतजार में परेशान दिखे। मेट्रो रेल में शारीरिक दूरी और मास्क पहनने के साथ एक सीट छोड़कर बैठने और खड़े होकर यात्रा न करने की चेतावनी वाले उद्घोषणा शुरू हो गई है। लोगों को स्टेशनों के भीतर सीमित संख्या में प्रवेश दिया जा रहा है। इससे राजीव चौक, उद्योग भवन, केंद्रीय सचिवालय, मंडी हाउस, सरोजनी नगर, कश्मीरी गेट जैसे मेट्रो स्टेशनों में दिनभर लंबी कतारें लगी रहीं। वैसे, मेट्रो ट्रेनों और परिसर में दिशा-निर्देशों के पालन में खूब लापरवाही भी देखने को मिली। सरोजनी नगर मेट्रो स्टेशन और ट्रेन में इतनी अधिक भीड़ रही कि लोगों में कोरोना का खौफ गायब नजर आया। उद्घोषणा के बाद भी लोग दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते दिखे। यही हाल नोएडा-द्वारका लाइन की मेट्रो रेल में देखने को मिला। उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन में प्रवेश के लिए बाहर लाइन में लगे रवि ने बताया कि उनकी मां बीमार है। उन्हें जल्द घर जाना है, लेकिन यहां लाइन में लगना काफी मुश्किलों भरा है। करीब एक घंटे से वह लाइन में लगे हुए हैं। मंडी हाउस में प्रिया ने बताया कि वह आधे घंटे से लाइन में लगी हैं। उनका नंबर कब आएगा, पता नहीं है। आफिस से घर जल्दी इसलिए जाना पड़ रहा है, क्योंकि रात को कफ्र्यू लागू हो जाएगा, लेकिन यहां तो पहले लंबी लाइनों के होकर गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मेट्रो के बाहर और अंदर तो भीड़ लगी हुई है, लेकिन प्रवेश करने के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। यह तो केवल खानापूरी की जा रही है।
आटो वाले मनमानी पर उतरे
कई लोग बस और मेट्रो में प्रवेश न मिलने पर आटो का रुख किया। लोगों की परेशानी को देख आटो वाले भी मनमानी पर उतर आए। कहीं जाने के लिए मनमाना किराया मांग रहे थे। आइटीओ से करोल बाग जाने के लिए बस के इंतजार में खड़े पवन ने बताया कि वह डेढ़ घंटे से बस की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन बसें नहीं रुक रही हैं। सभी बसें पीछे से ही भरी आ रही हैं। कई बसों में कुछ सीटें खाली भी हैं, पर बसें नहीं रोकी जा रही हैं। वह कहते हैं कि आटो वाले मनमाना किराया मांग रहे हैं। प्रशासन को गरीब लोगों की भी सोचनी चाहिए।